मुंबई। BCCI : बॉम्बे हाईकोर्ट से BCCI को करारा झटका लगा है। बीसीसीआई को पूर्व में आईपीएल की फ्रेंचाइजी रही कोच्चि टस्कर्स केरल के मालिकों को 538 करोड़ रूपए का हर्जाना देना होगा। हाईकोर्ट ने ऑर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई की याचिका खारिज कर दी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस आरआई छागला ने कहा, ’कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि आर्बिट्रेशन एंड कंसीलिएशन एक्ट के सेक्शन 34 के तहत कोर्ट की भूमिका सीमित होती है। बीसीसीआई का चैलेंज अधिनियम की धारा 34 के दायरे के खिलाफ है। हम केवल इसलिए फैसला नहीं बदल सकते, क्योंकि ये आपको पसंद नहीं।’
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दरअसल, 10 साल पहले 2015 में ट्रिब्यूनल के जस्टिस आरसी लाहोटी ने फ्रेंचाइजी के हक में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने ऑर्डर दिया कि बीसीसीआई हर्जाने के रूप में टीम को 538 करोड़ रुपए देगा। ट्रिब्यूनल के इसी फैसले को बीसीसीआई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चैलेंज किया था।
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क्या है मामला, क्यों देना पड़ा हर्जाना
दरअसल, कोच्चि टस्कर्स केरल को आईपीएल की एक नई टीम के रूप में 2011 में शामिल किया गया था। इस टीम का मालिकाना हक पहले रोंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) के पास था। बाद में इसे कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (KCPL) ने संभाला। सितंबर 2011 में बीसीसीआई ने फ्रेंचाइजी को आईपीएल से बाहर कर दिया।
फ्रेंचाइजी के मालिक BCCI की बैंक गारंटी को रिन्यू नहीं करा सके थे। 26 मार्च 2011 तक मालिक को गांरटी बैंक में जमा करनी थी। बोर्ड ने करीब 6 महीने इंतजार किया, लेकिन उन्हें कॉन्ट्रैक्ट के 156 करोड़ रुपए नहीं मिले। जिस कारण बीसीसीआई ने 19 सितंबर 2011 को एनुअल मीटिंग में टीम को टर्मिनेट कर दिया।
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बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ KCPL और RSW ने 2012 में मध्यस्थता यानी आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की। 2015 में ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया कि BCCI ने कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन किया और गलत तरीके से गारंटी की रकम वसूली। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि बीसीसीआई की गलती से KCPL को 384 करोड रूपए और RSW को 153 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ। यानी कुल मिलाकर ₹538 करोड़ से ज्यादा की भरपाई तय की गई, जिसमें ब्याज-कानूनी खर्च भी शामिल हैं।
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RSW ने 1555 करोड़ रुपए में खरीदी थी फ्रेंचाइजी
कोच्चि टस्कर्स आईपीएल की 9वीं फ्रेंचाइजी थी। इसे रोंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड कंपनी ने 2010 में 1555 करोड़ रुपए में खरीदा था। दरअसल, BCCI ने 2011 में IPL टीमों की संख्या 8 से बढ़ाकर 10 की थी। महेला जयवर्धने की कप्तानी वाली टीम में ब्रेंडन मैक्कुलम, रवींद्र जडेजा, मुथैया मुरलीधरन, आरपी सिंह और श्रीसंथ जैसे स्टार खिलाड़ी थे। इसके बावजूद टीम 14 में से 6 ही मैच जीत सकी और पॉइंट्स टेबल में 8वें नंबर पर रहकर प्लेऑफ में नहीं पहुंच सकी।