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Jim Thorpe: ओलंपिक गोल्ड जीतने के 110 साल बाद घोषित किया चैंपियन, ये था मामला

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Jim Thorpe gets his Olympic Gold Medal of 1912 stockholm Olympics after 110 years, declared champion, Know the reason

नई दिल्ली। Jim Thorpe: गोल्ड मैडल जीतने के बाद पोडियम पर खड़ा होकर पदक प्राप्त करना हर खिलाड़ी का सपना होता है। लेकिन अगर ओलंपिक में गोल्ड जीतने के बाद उस जीत को सही साबित करने और पदक प्राप्त करने में 110 साल लग जाएं तो कैसा लगेगा। सुनने में यह भले ही अजीब हो लेकिन दुनिया के महानतक एथलीट्स में शुमार अमेरिका के जिम थोर्पे (Jim Thorpe) के साथ ऐसा ही हुआ है। वर्ष 1912 ओलंपिक में थोर्पे ने ट्रैक एंड फील्ड की पेटांथलान एवं डेकाथलान स्पर्धाओं में गोल्ड मैडल जीते थे लेकिन किन्हीं कारणों से उनसे ये पदक छीन लिए गए और उनका नाम भी रिकॉर्ड बुक से हटा दिया गया। अब इस घटना के 110 साल बाद थोर्पे को आधिकारिक तौर पर विजेता घोषित करते हुए ये गोल्ड मैडल देने का फैसला किया गया है। थोर्पे का निधन 1953 में हो गया था।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने उनके पदक जीतने की 110 वीं सालगिरह पर यह घोषणा की। आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाक ने कहा- हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, अंततः इस मामले का हल निकल ही पाया। यह एक असाधारण और अनूठी स्थिति थी।

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क्या मामला था

दरअसल, यह पूरा मामला ओलंपिक की शर्तों से जुड़ा था। ओलंपिक में एमेच्योर (गैर-पेशेवर) खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। जबकि यदि कोई खिलाड़ी खेलों के बदले लेता है तो वह पेशेवर माना जाएगा। पेशेवर खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। 1912 में स्टाकहोम ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतने के कुछ महीनों बाद यह सामने आया कि जिम थोर्पे (Jim Thorpe) ने दो सीजन में बेसबॉल लीग में खेलने के लिए पैसा लिया था। ऐसा करने पर वो पेशेवर खिलाड़ी हो गए और इस के चलते वो ओलंपिक में भाग लेन के योग्य ही नहीं थे। इस घटना के सामने आने के बाद उनके पदक छीन लिए गए। तब इसे अंतरराष्ट्रीय खेलों का पहला बड़ा स्कैंडल माना गया था।

सर्वकालिक महान एथलीट्स में शामिल हैं थोर्पे

स्टाकहोम में गोल्ड मैडल जीतने के बाद जिम का न्यूयॉर्क में जोरदार स्वागत हुआ था। स्वीडन के किंग गुस्ताव पंचम ने उन्हें समापन समारोह में महानतम एथलीट भी करार दिया था। थोर्प की गिनती हमेशा सर्वकालिक महान एथलीटों में होती रही है। उन्हें 1950 में एसोसिएट प्रेस ने अर्द्धशताब्दी का श्रेष्ठ एथलीट चुना था। थोर्पे के दबदबे का यह आलम था कि पेंटाथलान (पांच खेलों की स्पर्धा) में उनके अंक लगभग तीन गुणा और डेकाथलान में दूसरे स्थान पर रहे खिलाड़ी से 688 अंक ज्यादा थे।

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निधन के 29 साल बाद सौंपे डुप्लिकेट मेडल

जिम (Jim Thorpe) का निधन 1953 में हो गया था और उनकी मृत्यु के 29 साल के बाद उनके परिवार को डुप्लिकेट स्वर्ण पदक दिए गए लेकिन उनके रिकॉर्ड को ओलंपिक में कभी शामिल नहीं किया गया था और न ही उन्हें 1912 ओलंपक की इन दो स्पर्धाओं (पेंटाथलान और डेकाथलान) में विजेता होने का दर्जा दिया गया।

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2 साल पहले उठा मामला, अब हुआ फैसला

थोर्पे को उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए करीब दो साल पहले ब्राइट पाथ स्ट्रांग समूह ने एक याचिका डाली थी। जिसमें इस बात की पैरवी की गई थी कि थोर्पे के 1912 ओलंपिक में किए गए प्रदर्शन को मान्यता दी जाए और उन्हें दोनों स्पर्धाओं का विजेता घोषित किया जाए। दो साल तक चली मशक्कत के बाद अब आईओसी ने 1912 ओलंपिक में किए गए थोर्पे (Jim Thorpe) के प्रदर्शन को अधिकृत रिकॉर्ड बुक में शामिल कर लिया है। आईओसी का कहना है कि वर्ल्ड एथलेटिक्स भी अपने रिकॉर्ड में संशोधन को तैयार हो गया है।

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