नई दिल्ली। Paralympics 2024: मोरक्को आयोजित ग्रैंड प्रिक्स में शुक्रवार को भारतीय पैरा एथलीट फातिमा खातून ने चक्का फेंक में ब्रॉन्ज मैडल जीता। इस मैडल के साथ ही फातिमा ने 2024 पेरिस पैरा ओलंपिक (Paralympics 2024) खेल, वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 तथा एशियन गेम्स के लिए क्वालिफाई कर लिया है। चक्का फेंक में मैडल के साथ ही फातिमा जैवलीन थ्रो इवेंट में चाथे स्थान पर रहीं। फातिमा अब एशिया में दूसरी रैंक की खिलाड़ी बन गई हैं।
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30 वर्षीय फातिमा ने अपने चक्का फेंक में 17.65 मीटर थ्रो करते हुए ब्रॉन्ज मैडल जीता, जबकि भाला फेंक में 15 मीटर के साथ चौथा स्थान हासिल किया। 2024 पैरा ओलंपिक (Paralympics 2024) के लिए 13 मीटर क्वालिफाई मार्क था। इस सफलता के लिए यूपी पैरा ओलंपिक कमेटी से विकास कुमार, कविंद्र चौधरी, जेपी सिंह, पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया के सदस्यों, पीवीवीएनएल एमडी अरविंद मलप्पा बंगारी, स्पोर्ट्स ऑफिसर अलका तोमर, राजेश चौधरी सहित अन्य स्टाफ के सदस्यों ने बधाई दी है।
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सड़क दुर्घटना के बाद छह महीने कोमा में रहीं
बिजली विभाग में स्टेनोग्राफर पद पर तैनात फातिमा 2014 में सड़क दुर्घटना गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। वह छह महीने कोमा में रहीं। दोनों हाथ और पैर टूट चुके थे, जबकि पूरे शरीर में 194 टांके आए थे। दो साल तक बैड रेस्ट के बाद जब वह उठीं तो व्हील चेयर का सहारा ही उनका जीवन बन गया। वह सामान्य से दिव्यांग हो चुकी थीं। दूसरी जिंदगी मिली तो उन्होंने 2017 में खेलों में किस्मत आजमाते हुए मेहनत शुरू की। कुछ अलग करने के जज्बे से उन्हें यह मुकाम मिला।
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स्टेडियम प्रशासन की बेरुखी से प्रभावित हुआ अभ्यास
फातिमा के सहयोगियों ने बताया कि स्टेडियम प्रशासन के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण फातिका का अभ्यास खासा प्रभावित हुआ था। कैलाश प्रकाश स्टेडियम में उन्हें अभ्यास से रोका गया। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी योगेंद्रपाल सिंह के सामने हाथ जोड़ने और पैर पकड़ने तक की मिन्नतें की, लेकिन उन्हें अभ्यास करने की इजाजत नहीं दी गई।
स्टेडियम प्रशासन की बेरुखी के कारण उनका 10-12 दिन का अभ्यास प्रभावित हुआ। उनका अभ्यास प्रभावित न होता तो मुख्य इवेंट भाला फेंक में भी पदक जरूर आता, क्योंकि 25 सेमी. से उनका ब्रॉन्ज मैडल रह गया।