नई दिल्ली। अफगानिस्तान में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच वहां के पैरांलपिक एथलीटों का सपना टूट गया है, क्योंकि वह 24 अगस्त से शुरू हो रहे टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) खेलों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। इंटरनेशनल पैरालंपिक कमेटी (IPC)अध्यक्ष ने कहा है कि काबुल में फंसे अफगान एथलीट खेलों में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
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अफगानिस्तान में कोई कर्मशियल उड़ानें नहीं
IPC अध्यक्ष एंड्रयू पार्सन्स ने कहा, ‘अफगानिस्तान में कोई कर्मशियल उड़ानें नहीं है। हम सभी ने काबुल हवाई अड्डे की तस्वीरों में वहां की स्थिति देखी है। ऐसी स्थिति में अफगान एथलीटों को टोक्यो लाने की कोशिश करने का कोई सुरक्षित तरीका नहीं होगा।’
खुदादादी ने लगाई मदद की गुहार
ताइक्वांडो एथलीट जकिया खुदादादी Paralympics में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला पैरालंपिक एथलीट होतीं लेकिन अब वह हिस्सा नहीं ले पाएंगी। एक वीडियो मैसेज में, खुददादी ने मंगलवार को मदद की गुहार लगाई है। पार्सन्स ने कहा,’मैंने वीडियो देखा, अफगानिस्तान में क्या हो रहा है और यह हमारे एक एथलीट के सपने को चकनाचूर कर रहा है। वास्तव में दुखद है और यह मेरा दिला तोड़ देता है।’
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पहले खुद को परिभाषित करने की जरूरत
पार्सन्स ने कहा कि समिति उसके सपने को फिर से पूरा करने के लिए अफगान टीम के साथ काम करेगी, जिसमें संभवतः 2024 में पेरिस में खेलों की प्रतिस्पर्धा में शामिल है। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखकर पार्सन्स ने कहा कि,’यह कुछ ऐसा है जो खेल से बड़ा है, हम सबसे पहले अफगानिस्तान में एक राष्ट्र के रूप में मनुष्य के साथ है। विशेष रूप से उस राष्ट्र की महिला के लिए चिंतित है, मुझे लगता है कि पहले, राष्ट को खुद को परिभाषित करने की जरूरत है।’
खिलाड़ियों पर पड़ रहा असर
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा है। तालिबान खुद के बदले होने के लाख दावे कर रहा है लेकिन वहां की जनता को उन पर विश्वास नहीं है। यही कारण है कि लोग किसी भी तरह देश से बाहर जाना चाहते हैं। काबुल एयरपोर्ट पर हजारों लोग फ्लाइट के इंतजार में है। अफगानिस्तान में उथल-पुथल मची हुई है और इसका असर Paralympics खिलाड़ियों पर भी पड़ रहा है।