नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के फाइनल में पहुंचने वाले भारतीय पहलवान (Wrestler) रवि कुमार दहिया गोल्ड मेडल जीतने से महज एक कदम की दूरी पर है। रवि ने अपने अभियान का आगाज जीत किया है। रवि ने मंगलवार को क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया के पहलवान ऑस्कर टिगरेरोस उरबानो को शिकस्त दी। इसके बाद 57 किलो कैटेगरी क्वार्टर फाइनल मुकाबले में बुल्गारिया के जॉर्डी वैंगेलोव को 14-4 के भारी अंतर से परास्त कर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली हैं। उन्होंने 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी के सेमीफाइनल में कजाकिस्तान के नूरीस्लाम सनायेव को पटखनी दी।
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पिता का संघर्ष और बेटे की मेहनत लाएगी रंग
Wrestler रवि दहिया का Tokyo Olympics तक पहुंचने का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। 1997 में हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में रवि का जन्म हुआ था। उनके पिता किसान थे, लेकिन उनके पर खुद की जमीन नहीं थी, इसलिए किराये पर जमीन लेकर खेती किया करते थे। रवि ने दस साल की उम्र में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। यहां रवि ने 1982 के एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता सतपाल सिंह से प्रशिक्षण लिया। मुश्किलों के बीच उनके पिता राकेश ने बेटे रवि को पहलवान बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी, वह खुद प्रतिदिन अपने गांव से छत्रसाल स्टेडियम तक करीब चालीस किमी का लंबा सफर तय करके दूध, फल और अन्य सामान पहुंचाते थे।
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लेकिन रवि ने नहीं मानी हार
वर्ष 2015 में विश्व रेसलिंग चैम्पियनशिप में Wrestler रवि दहिया ने 55 किलो कैटेगिरी में रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन सेमीफाइनल में चोटिल हो गए। उसके बाद सीनियर वर्ग में करियर बनाने के दौरान चोट की वजह से उन्हें पीछे भी हटना पड़ा। वर्ष 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट ने उन्हें परेशान किया। इस वजह से उन्हें कुछ समय तक मैट से दूर रहना पड़ा। उन्हें ठीक होने में करीब एक साल लग गया लेकिन रवि ने हार नहीं मानी। चोट से उबरने के बाद बुखारेस्ट में 2018 वल्रड अंडर 23 रेसलिंग चैंपियनशिप में 57 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल अपने नाम किया।
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एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में जीत चुके हैं गोल्ड
Wrestler रवि दहिया ने वर्ष 2019 में विश्व चैंपियनशिप के सिलेक्शन ट्रायल में सीनियर रेसलर उत्कर्ष काले और ओलंपियन संदीप तोमर को शिकस्त दी। वर्ष 2020 में रवि ने कोरोना से पहले मार्च में दिल्ली में हुई एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया।
नाहरी गांव के तीसरे पहलवान
Wrestler रवि कुमार हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव के रहने वाले हैं। इस गांव से उनसे पहले महावीर सिंह (1980 और 1984 में) और अमित दहिया (2012 में) ओलंपिक में देश को रिप्रजेंट कर चुके हैं, लेकिन इन दोनों ने मेडल जीतने में कामयाब नहीं हो पाए थे।