कोलकाता। Team India : भारतीय टीम को रविवार को कोलकाता टेस्ट में 30 रन से करारी हार का सामना करना पड़ा। 124 रन के छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया केवल 93 रन पर ऑलआउट हो गई। इस हार के साथ साउथ अफ्रीका ने 2 मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली।
यह भी दिलचस्प है कि 15 साल बाद किसी अफ्रीकी टीम ने Team India को उसके घरेलू मैदान पर टेस्ट मैच में मात दी है। भारत को यह लगातार चौथी घरेलू टेस्ट हार मिली है, और इन सभी मैचों में विरोधी टीमों के स्पिन गेंदबाजों ने बड़ी भूमिका निभाई है। कोलकाता टेस्ट के बाद बहस तेज हो गई है। कुछ लोग मुश्किल पिच को दोष दे रहे हैं, तो कुछ भारत की कमजोर बल्लेबाजी को। लेकिन असली सवाल यह है— क्या भारतीय बल्लेबाज अब स्पिन के खिलाफ संघर्ष करने लगे हैं?
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गंभीर की दो टूक— “पिच नहीं, बल्लेबाजी खराब थी”
Team India के कोच गौतम गंभीर ने हार के बाद स्पष्ट कहा— “पिच बिल्कुल वैसी ही थी जैसी हम चाहते थे। समस्या विकेट नहीं, हमारी बल्लेबाजी थी। भारतीय बल्लेबाजों को स्पिन के खिलाफ मानसिक और तकनीकी दोनों स्तर पर बेहतर होना होगा।”
उनकी बात आंकड़ों से भी साबित होती है।
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कोलकाता टेस्ट में भारत के 60% विकेट स्पिनरों ने चटकाए।
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20 में से 12 बल्लेबाज स्पिन गेंदों पर आउट हुए।
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पिछले एक साल के आंकड़े खतरे की घंटी
पिछले एक वर्ष में भारत में खेले गए 6 टेस्ट मैचों में—
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कुल गिरे भारतीय विकेट: 87
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इनमें से 60 विकेट स्पिनर्स के खाते में
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जबकि तेज गेंदबाजों ने केवल 27 विकेट लिए
मतलब, स्पिन के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं।
इसी अवधि में भारतीय मैदानों पर दोनों टीमों के कुल विकेटों का विश्लेषण करें—
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111 में से 77 विकेट स्पिनरों ने लिए (69%)
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सिर्फ 31% विकेट पेसर्स ने लिए
स्पष्ट है कि उपमहाद्वीपीय पिचों पर स्पिन खेलने की भारतीय क्षमता गिरती जा रही है।
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घरेलू धुरंधरों को मौका क्यों नहीं मिलता?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब स्पिन खेलने में दिक्कत बढ़ रही है तो घरेलू क्रिकेट में रेड बॉल के स्टार बल्लेबाजों को टीम में पर्याप्त जगह क्यों नहीं मिल रही?
Sanju Samson को आखिर क्यों नहीं मिल रहा है टीम इंडिया में मौका ?
इन नामों पर ध्यान दीजिए—
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सरफराज खान
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रजत पाटीदार
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श्रेयस अय्यर
ये खिलाड़ी घरेलू सर्किट में स्पिन खेलने में बेहद सक्षम माने जाते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय टेस्ट टीम में या तो जगह नहीं मिलती या लगातार मौके नहीं।
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क्यों हो रही है समस्या?
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एक ही चेहरों को लगातार मौके
भारतीय टीम प्रबंधन अक्सर उन्हीं खिलाड़ियों पर टिके रहता है, चाहे वे लगातार फॉर्म में हों या नहीं। -
वरिष्ठ खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट कम खेल रहे हैं
-टेस्ट टीम के कई स्थायी खिलाड़ी रणजी या अन्य डोमेस्टिक टूर्नामेंट्स में भाग नहीं लेते।
-इसके कारण वे घरेलू पिचों पर लंबे फॉर्मेट की चुनौतियों से दूर होते जा रहे हैं।
-सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी भी नियमित रूप से रणजी खेलते थे, लेकिन आज के अधिकांश खिलाड़ी ऐसा नहीं करते। -
यंगस्टर्स को लगातार मौके नहीं
-सरफराज और पाटीदार को पिछले साल Team India में कुछ मैच मिले थे, लेकिन 2–3 अवसरों के बाद ही बाहर कर दिया गया।
-इसके उलट साई सुदर्शन जैसे कुछ खिलाड़ियों को लगातार बैक किया गया।
