गुवाहाटी। Ranji Trophy: भारत के युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने रणजी ट्रॉफी 2022-23 के मुकाबले में असम के खिलाफ 379 रनों की शानदार पारी खेली थी। इस पारी में भारतीय खिलाड़ी ने महज 383 गेंदों का सामना किया। उन्होंने इस पारी में 49 चौके और 4 छक्के लगाए थे। शॉ का यह स्कोर रणजी के इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था। उन्होंने संजय मांजरेकर के 377 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा था। शॉ एक वक्त इस पारी में आसानी से 400 की ओर बढ़ते दिख रहे थे लेकिन रियान पराग की गेंद उनके पैड पर जा लगी और अंपायर ने उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया। इस ऐतिहासिक पारी के बाद शॉ ने मीडिया को इंटरव्यू दिया और कई बातें कहीं।
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शॉ बोले-मैं आउट नहीं था, बना सकता था 400 रन
शॉ के इस इंटरव्यू में उनके इंस्टाग्राम हैंडल से लेकर उनकी टीम में वापसी तक कई बातों पर चर्चा हुई। लेकिन इसके अंत में उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिससे अंपायरिंग पर भी सवाल उठ गए। दरअसल, शॉ ने कहा था कि वह आउट नहीं थे वरना वह 400 रन भी बना सकते थे। इस बयान का मतलब साफ था कि उन्होंने अंपायरिंग पर सवाल उठा दिए। जानकारी के मुताबिक पृथ्वी शॉ को लग रहा था कि अंपायर ने Ranji Trophy में उन्हें जिस तरह आउट दिया वह आउट नहीं थे। यही कारण रहा कि वह 400 रन बनाने से चूक गए। हालांकि, एलबीडब्ल्यू के मामले में अक्सर बल्लेबाज को ऐसा प्रतीत होता है। यही कारण है कि इंटरनेशनल क्रिकेट में डीआरएस का इस्तेमाल शुरू हुआ।
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शॉ ने बनाया रणजी इतिहास का दूसरा सर्वोच्च स्कोर
मुंबई के लिए Ranji Trophy में ओपनिंग करते हुए उन्होंने गुवाहाटी में असम के खिलाफ हुए मुकाबले में 383 गेंदों में 379 रन ठोक दिए। यह भारत के लगभग 90 साल के फर्स्ट क्लास क्रिकेट के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी है। महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए काठियावाड़ के खिलाफ बाबूसाहेब अम्बालकर ने 443 रन की इससे बड़ी पारी 1948-49 में खेली थी। इसके अलावा शॉ ने 1990-91 में संजय मांजरेकर द्वारा बनाए गए 377 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा। वह रणजी (टेस्ट फॉर्मेट) में ट्रिपल सेंचुरी, विजय हजारे (50 ओवर) में डबल सेंचुरी और सैयद मुश्ताक (20 ओवर) में सेंचुरी लगाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। अब आप चाहें तो इसे पृथ्वी की खराब किस्मत भी कह सकते हैं कि लगभग हर फॉर्मेट में लगातार टॉप क्लास इनिंग्स खेलने के बाद भी वह भारतीय टीम से बाहर हैं।