नई दिल्ली। Gautam Gambhir : बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली, टीम इंडिया के वर्तमान कोच गौतम गंभीर के समर्थन में उतर आए हैं। गंभीर को पहले श्रीलंका के खिलाफ वनडे और अब न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में शर्मनाक हार के बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व क्रिकेटर्स ने गंभीर को निशाने पर ले रखा है और उनकी रणनीति की आलोचना कर रहे हैं। ऐसे में सौरव ने अब Gautam Gambhir का समर्थन जताया है। सौरव ने कहा कि गंभीर को अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जरूरत नहीं है। गंभीर जैसे हैं, उन्हें वैसा ही रहने दें।
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एक मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान गांगुली ने Gautam Gambhir का बचाव करते हुए कहा कि भारत के मुख्य कोच ऐसे ही हैं। गांगुली ने रिकी पोंटिंग, मैथ्यू हेडन, स्टीव वॉ जैसे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सितारों का उदाहरण दिया, जिनकी व्यक्तित्व शैली गंभीर की तुलना में समान थी। गांगुली ने कहा, ’मैं बस इतना कहूंगा कि उन्हें वैसे ही रहने दो। मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जो कहा उसकी कुछ आलोचना देखी। वह ऐसे ही हैं, उन्हें उनके जैसे रहने दो। जब उन्होंने आईपीएल जीता था, तब भी वह ऐसे ही थे। तब आप उन पर गदगद हो रहे थे। सिर्फ इसलिए कि वह श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट और वनडे सीरीज हार चुके हैं, उनकी सीधी बात को आपने अच्छी तरह से नहीं लिया, लेकिन वह ऐसे ही हैं।’
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चुनौतियों से लड़ना जानते हैं Gautam Gambhir
गांगुली ने कहा, ’और क्यों नहीं वह ऐसे हों? ऑस्ट्रेलियाई, जब से मैंने क्रिकेट देखा है, वे हमेशा से बात करने में कठिन रहे हैं। फिर चाहे वह स्टीव वॉ, पोंटिंग या मैथ्यू हेडन हों, वे इसी तरह से खेलते रहे हैं। इसलिए गंभीर ने जो कहा है उसमें कुछ भी गलत नहीं है। वह ऐसे ही हैं और वह लड़ना जानते हैं। वह प्रतिस्पर्धा करना जानते हैं, इसलिए हमें उन्हें मौका देना चाहिए। अभी दो या तीन महीने ही हुए हैं और आप उन पर फैसला सुना रहे हैं।’
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सिर्फ दो महीने में नहीं हो सकता गंभीर पर फैसला
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रिकी पोंटिंग पर Gautam Gambhir का कटाक्ष भी बहस का विषय बन गया था। हालांकि, गांगुली का मानना है कि लोगों को उन्हें अपनी बात कहने का मौका देना चाहिए क्योंकि वह ऐसे ही हैं। उन्होंने कहा, ’कोई बात नहीं। उन्हें जो कुछ भी पसंद है उसे कहने दें, क्योंकि इससे उन्हें मदद मिलेगी। अंततः आपको ही जाकर कड़ी मेहनत करनी होती है। यह ऐसा ही है और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के खिलाफ सदियों से ऐसा होता आ रहा है। यह इस सीरीज को और भी अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है और लोगों द्वारा और भी ज्यादा अनुसरण किया जाता है। तो इसे रहने देते हैं। गंभीर को मौका देते हैं। आपने उन्हें नौकरी दे दी है। दो महीने में आप उन पर फैसला नहीं सुना सकते।’