नई दिल्ली। Vinesh Phogat : रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के विवाद में रेसलर विनेश फोगाट ने भी अपना खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड लौटाने का ऐलान कर दिया है। Vinesh Phogat ने पीएम मोदी के नाम दो पेज का लेटर भी पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा- हमारे मेडल्स-अवॉर्ड्स को 15 रुपए का बताया जा रहा है। अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन आने लगी है। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गया था, जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से जिंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड आपको वापस करना चाहती हूं ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।
गौरतलब है कि इससे पहले बजरंग पूनिया अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा चुके हैं। वहीं साक्षी मलिक कुश्ती संघ से संन्यास का ऐलान कर चुकी है। हालांकि इसके बाद केंद्र सरकार ने कुश्ती फेडरेशन की नई चुनी कार्यकारिणी को भंग कर दिया था और लगा था कि मामला शांत होने लगेगा लेकिन अब Vinesh Phogat के इस ऐलान ने इस पूरे घटनाक्रम को और भड़का दिया है।
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विनेश फोगाट ने अपनी चिट्ठी में पीएम को लिखा
प्रधानमंत्री जी, अपना हाल बताने को पत्र लिख रही हूं। साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलिंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिए मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आप तक भी यह मामला पहुंचा होगा। प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं, यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं।
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क्या हम विज्ञापनों में छपने के लिए हैं
मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलिंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें ’बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड ऐंबैस्डर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं। आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी, तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं। हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज़ नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है. मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना ज़रूर पूरा हो।
हम घुट घुट कर जी रही हैं
Vinesh Phogat ने लिखा- हमारी जिंदगी उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है। कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है, उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट-घुट कर जी रही हैं। आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है। जो शोषणकर्ता है, उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीके से नारे भी लगवाए हैं। आप अपनी जिंदगी के सिर्फ 5 मिनट निकालकर उस आदमी के मीडिया में दिए गए बयानों को सुन लीजिए, आपको पता लग जाएगा कि उसने क्या क्या किया है। उसने महिला पहलवानों को मंथरा बताया है, महिला पहलवानों को असहज कर देने की बात सरेआम टीवी पर कबूली है और हम महिला खिलाड़ियों को जलील करने का एक मौक़ा भी नहीं छोड़ा है. उससे ज़्यादा गंभीर यह है कि उसने कितनी ही महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. यह बहुत भयावह है।