ऑस्ट्रेलियन लीग के सैलरी कैप में कटौती से खिलाड़ी ISL की ओर आकर्षित
स्पेन 21 के और ऑस्ट्रेलिया 10 खिलाड़ियों को दी टीमों में जगह
नई दिल्ली। भारत के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट Indian Super League (ISL)के 7वें सीजन में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या बढ़ने से टूर्नामेंट ऑर्गेनाइजर्स बेहद खुश हैं। सीजन में विदेशी प्लेयर्स में सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलियन लीग के खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी है। ISL के 7वें सीजन में ऑस्ट्रेलियन लीग से 13 नए खिलाड़ी ISL टीमों द्वारा साइन किए गए। जबकि पिछले सीजन में ये संख्या सिर्फ 2 थी।
वहीं, स्पेनिश लीग से 9 नए खिलाड़ी साइन किए गए। इस साल स्पेन के सबसे ज्यादा 21 प्लेयर्स टूर्नामेंट खेल रहे हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के 10 प्लेयर्स टूर्नामेंट खेल रहे हैं।
लीग में सबसे ज्यादा गोल करने वाला खिलाड़ी भी में
एजेंसी के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के बाहर देशों से भी खिलाड़ी ISL खेलने आ रहे हैं। इंग्लिश स्ट्राइकर एडम ली फोंद्रे, जर्मनी के डिफेंडर माती स्टेनमैन और वेल्स के एरॉन होलोवे भी ISL का ये सीजन खेल रहे हैं। एडम फोंद्रे तो ऑस्ट्रेलियन लीग के पिछले सीजन में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी भी रहे थे।
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ऑस्ट्रेलियन लीग में खिलाड़ियों के सैलरी कैप में 3 की कटौती
एजेंसी के मुताबिक ये सभी खिलाड़ी कोरोना के कारण ऑस्ट्रेलियन लीग के सैलरी कैप में हुई कटौती की वजह से ISL की ओर आकर्षित हुए हैं और ये भारतीय लीग के लिए अच्छी बात है। ISL में नॉर्थ-ईस्ट यूनाइटेड की टीम से खेल रहे 26 साल के ऑस्ट्रेलियन डिफेंडर डिलन फॉक्स ने सितंबर में लीग की टीम सेंट्रल कोस्ट मरीनर्स की टीम को छोड़ दिया था।
ऑस्ट्रेलियन लीग में कोई विकास नहीं
फॉक्स ने कहा कि ऑस्ट्रेलियन लीग को लेकर फिलहाल असमंजस की स्थिति है। टूर्नामेंट के होने या न होने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में मैंने ऑस्ट्रेलिया से बाहर निकलकर एशिया में खुद को आजमाने का सोचा। पिछले कुछ सालों में ऑस्ट्रेलियन लीग ने कोई विकास नहीं किया है। A-लीग खेलने वाले बाकी खिलाड़ियों को भी ऐसा ही लगता है।’
फॉक्स का कॉन्ट्रैक्ट फिलहाल 1 सीजन का है। हालांकि उन्होंने कहा कि ये उनके करियर का सबसे बड़ा डिसीजन है और वे इस अवसर को अच्छे से भुनाना चाहते हैं।
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नए नियमों के कारण बढ़ी ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों की संख्या
ISL के 7वें सीजन के एक नए नियम के मुताबिक हर क्लब को कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 7 विदेशी खिलाड़ियों को साइन करना था। इन विदेशी खिलाड़ियों में कम से कम एक खिलाड़ी एशियन फुटबॉल कन्फेडरेशन (AFC) के देशों से होना चाहिए था। ये नियम पिछले सीजन में नहीं था। इन्वेंटिव स्पोर्ट्स के बलजीत सिंह रिहाल के मुताबिक ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों को साइन करने का ये भी एक कारण हो सकता है।
बलजीत ने कहा, ईरान और उज्बेकिस्तान के प्लेयर्स भी भारत आना चाहते हैं, लेकिन भारतीय क्लब्स के लिए इनके आंकड़े और जानकारी निकालना ज्यादा मुश्किल है। जबकि ऑस्ट्रेलियन लीग के बारे सबको पता है और वहां के प्लेयर्स के आंकड़े आसानी से मिल जाते हैं।
ISL टीम के कोच भी देशों में ऑस्ट्रेलिया को दे रहे तवज्जो
इसके कई और कारण भी हैं। इंग्लैंड और लिवरपूल के पूर्व स्ट्राइकर रॉबी फोलर ने जून में A-लीग की टीम ब्रिसबेन रोअर के हेड कोच के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अक्टूबर में उन्होंने ISL के दिग्गज क्लब ईस्ट बंगाल के कोच पद के लिए नियुक्त किया गया। कोच बनते ही उन्होंने ऑस्ट्रेलियन लीग के 3 खिलाड़ियों को साइन किया था।
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ISL में ऑस्ट्रेलियन लीग से ज्यादा पैसा
बेंगलुरु FC से खेलने वाले एरिक पर्तालू ISL खेलने वाले सबसे पुराने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी हैं। वे इस साल ISL का अपना चौथा सीजन खेल रहे हैं। पर्तालू ने कहा कि भारत खिलाड़ियों को ज्यादा स्थिरता देता है, जो कि ऑस्ट्रेलियन लीग में नहीं है। यहां निश्चित तौर पर A-लीग से ज्यादा पैसा है। A-लीग में अगर प्लेयर्स से ये बोला जाए कि आपको सिर्फ सैलरी का 70% ही दिया जाएगा, तो वे ये सोचेंगे कि हमने ऐसा क्या नहीं किया, जो हमारी बाकी की सैलरी काटी जा रही है। इसलिए आप पहले की अपेक्षा ज्यादा खिलाड़ियों को ISL खेलते हुए देख रहे हैं।
कोरोना के कारण लीग ने रेवेन्यू में कटौती का फैसला किया
बता दें कि 2005 में शुरु हुए ऑस्ट्रेलियन लीग ने कोरोना की वजह से इस साल में सैलरी कैप में भारी कटौती करने का फैसला किया। एजेंसी के मुताबिक ISL लीग ने फॉक्स स्पोर्ट्स द्वारा कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने के बाद रेवेन्यू गिराने का फैसला किया था। साथ ही खिलाड़ियों के सैलरी कैप में भी 30% तक कटौती करने का ऐलान किया था।