नई दिल्ली। मानवाधिकारों को लेकर पूर्वी अफ्रीकी देश इरिटरियन का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। यह देश लगातार युद्ध की विभीषका से जूझ रहा है। ऐसे में वहां के शरणार्थी खिलाड़ी इस समय अपनी ओलंपिक (Olympic)तैयारियां स्विट्जरलैंड में कर रहे हैं। वे ओलंपिक में पदक पक्का की के उद्देश्य से अपनी तैयारियों को अंजाम दे रहे हैं। वहां 13 देशों के 55 शरणार्थी खिलाड़ी तैयारी कर रहे हैं, टीम का चयन जून में किया जाएगा।
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IOC शरणार्थी खिलाड़ियों की एक टीम बनाने की इच्छुक
इरिटरियन के एक निशानेबाज लूना सोनोमोन भी जबरदस्त तैयारी कर रहे हैं। उनका टारगेट10 मीटर एयर राइफल में ओलंपिक में भागीदारी करना है। यहां शरणार्थी शिविर में दर्जनों ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें टोक्यो में भाग लेने की उम्मीद है। इंटरनेशनल ओलंपिक समिति (IOC) इनकी एक टीम बनाना चाहती है।
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गोल्ड मेडल विजेता निकोलो कैप्रियानी उनकी कोच
लूना कहतीं है, मेरे अपने देश में हाल खराब है, वहां बंदूक किसी दूसरे पर गोली चलाने के लिए उठाई जाती रही है। वहां राइफल को खेल से नहीं हिंसा से जोड़कर देखा जाता है। सोनोमोन ने 2015 में अपना देश छोड़कर शरण ले ली थी। अब इटली की ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता निकोलो कैप्रियानी उनकी कोच है जो पूर्व विश्व चैंपियन भी रह चुकी हैं।
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रियो में भी उतरी थी शरणार्थियों की टीम
IOC ने पहले 2016 रियो डि जेनेरियो में पहली बार शरणार्थी खिलाड़ियों की एक टीम बनाई थी ताकि ऐसे खिलाड़ियों के मुद्दे को सामने लाया जा सके। उस साल मध्यपूर्व, अफ्रीका और मध्य एशिया से लाखों शरणार्थी यूरोप पहुंचे थे। तब सीरिया, कांगो, इथियोपिया और दक्षिणी सूडान के खिलाड़ियों की 10 सदस्यीय टीम ने एथलेटिक्स, तैराकी और जूडो में हिस्सा लिया था।