नई दिल्ली। Manika Batra Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को राष्ट्रीय कोच द्वारा प्रताड़ित व मैच फिक्सिंग की कोशिश के आरोप की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज विक्रमजीत सेन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति को सौंपी है। हाईकोर्ट ने कल ही जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली के आदेशानुसार कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य पूर्व जज एके सीकरी और अर्जुन अवार्डी और पद्मश्री विजेता एथलीट गुरबचन सिंह रंधावा भी शामिल होंगे। अदालत ने यह कमेटी टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीटीएफआई) के खिलाफ बत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए गठित की है।
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इससे पहले, भारत की स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा (Manika Batra Case) केस की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (TTFI) को फटकार लगाई। हाइकोर्ट ने कहा कि खिलाड़ियों का अनावश्यक रूप से उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने महासंघ को मनिका बत्रा को क्लीन चिट देने को कहा, जिन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्था के खिलाफ शिकायत दायर की थी।
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TTFI के खिलाफ जांच का खेल मंत्रालय को निर्देश देने वाली न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार निजी कोच की मांग करके खिलाड़ी ने कोई गलती नहीं की। अदालत मनिका की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि TTFI गैर पारदर्शी तरीके से चयन कर रहा है और कुछ खिलाड़ियों को निशाना बना रहा है जिसमें वह भी शामिल हैं।
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फेडरेशन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचीं Manika Batra
टेबल टेनिस फेडरेशन ने एशियन चैंपियनशिप के लिेए टीम का ऐलान किया था। इस टीम में Manika Batra का नाम शामिल नहीं था। इस फैसले से वह काफी नाराज थीं। इसीलिए उन्होंने फेडरेशन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट जाने का फैसला किया और याचिका दायर की। वहीं इस मामले में फेडरेशन का कहना है कि मनिका ने सोनीपत में नेशनल कैंप में हिस्सा नहीं लिया था जिसके चलते उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया। फेडरेशन ने पहले ही आगाह किया था कि सभी खिलाड़ियों को कैंप में हिस्सा लेना अनिवार्य था।