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Paris Olympics: जीत की जिद से गोल्ड मेडल की दौड़ में पहुंचे ‘लक्ष्य’

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पेरिस। Paris Olympics : भारत के युवा शटलर लक्ष्य सेन ने शुक्रवार को इतिहास रच दिया। लक्ष्य ओलंपिक बैडमिंटन पुरुष एकल सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। ओलंपिक के इतिहास में वह बैडमिंटन में पुरुष सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने हैं। उन्होंने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ताइवान के चू टिन चेन को 19-21, 21-15, 21-12 से हराया। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए लक्ष्य को बाकी खिलाड़ियों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ी है क्योंकि उन्हें एक अतिरिक्त मैच खेलना पड़ गया। लेकिन जीत की जिद ने इस परेशानी को भी आसान कर दिया।

पहली जीत भी छीन ली

Paris Olympics में लक्ष्य ने शुरुआत जीत के साथ की थी। लेकिन बाद में पता चला कि उनके इस पहले मुकाबले का परिणाम ही रद्द कर दिया गया। दरअसल, पुरुष एकल बैडमिंटन प्रतियोगिता के पहले मैच में लक्ष्य ने ग्वाटेमाला के केविन कॉर्डन के खिलाफ जीत हासिल की थी। बाद में कोहनी की चोट के कारण कॉर्डन ने अपना नाम वापस ले लिया था। इस तरह ग्रुप एल में केवल तीन खिलाड़ी बचे थे जिसमें सेन के अलावा क्रिस्टी और कैरागी शामिल थे। लिहाजा कॉर्डन के खिलाफ लक्ष्य की जीत को अमान्य घोषित कर दिया गया और लक्ष्य को बाकी अगले चरण में जाने के लिए बाकी दोनों मैच भी जीतने पड़े। इसमें जोनाथन क्रिस्टी के खिलाफ मिली जीत काफी अहम थी, इस मुकाबले में क्रिस्टी को फेवरेट माना जा रहा था लेकिन लक्ष्य ने शानदार खेल दिखाते हुए क्रिस्टी को मात दी। इस तरह लक्ष्य लगातार तीन मैच जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंचे, जबकि दूसरे खिलाड़ियों को केवल दो मैच ही जीतने पड़े।

प्री क्वार्टर फाइनल में हमवतन से मुकाबला

ऐसी ही अजीबोगरीब परिस्थिति लक्ष्य के सामने प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भी थी। जहां उनका मुकाबलाा हमवतन एचएस प्रणॉय से हुआ था। लक्ष्य और प्रणॉय दोनों अच्छे दोस्त हैं, हालांकि प्रणॉय लक्ष्य से काफी सीनियर खिलाड़ी हैं लेकिन दोनों प्रैक्टिस भी साथ-साथ ही करते हैं। लेकिन ओलंपिक में दोनों को आमने-सामने उतरना पड़ा। गुरुवार को खेले गए इस मुकाबले में विश्व रैंकिंग 19 लक्ष्य ने 13वें रैंक के प्रणय को शिकस्त दी। इसी के साथ प्रणय का सफर पेरिस ओलंपिक में समाप्त हो गया था। इससे पहले दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी इंडोनेशिया के जोनाथन क्रिस्टी को सीधे गेमों में 21-18, 21-12 से मात दी थी।

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प्रकाश पादुकोण ने तराशा करियर

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्म लेने वाले लक्ष्य ने आठ साल की उम्र में अपने पिता डीके सेन (बैडमिंटन कोच) के मार्गदर्शन में खेलना शुरू किया था। उनके परिवार ने उनके हुनर को पहचाना और उन्हें बेंगलुरु में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में दाखिला दिलाया, जहां उन्होंने प्रसिद्ध कोच विमल कुमार और प्रकाश पादुकोण से खेल के गुर सीखे।

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ऐसा रहा लक्ष्य का करियर

लक्ष्य बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे हैं। 2016 में उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया और 2017 में विश्व जूनियर रैंकिंग में टॉप पोजिशन हांसिल की। 2018 में भी उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप के साथ ही समर यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीता। इसके बाद 2019 में लक्ष्य ने डच ओपन और सारलोरलक्स ओपन सहित कई खिताब अपने नाम किए। साल 2021 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक के साथ-साथ 2022 में भारत की ऐतिहासिक थॉमस कप जीत में योगदान दिया। और अब इसी बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर लक्ष्य Paris Olympics में गोल्ड मैडल की दौड़ में शामिल हैं।

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