नई दिल्ली। श्रीलंका के पूर्व स्पिनर और IPL 2021में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के बॉलिंग कोच मुथैया मुरलीधन (Muttiah Muralitharan) की चैन्नई के एक अस्पताल में एंजियोप्लास्टी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार इस चैंपियन स्पिनर की धमनी को खोलने के लिए स्टेंट डाला गया आज उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। अब वो अपनी टीम सनराइजर्स हैदराबाद से दोबारा जुड़ेंगे।
IPL 2021: जानिए, कैसी हो सकती है CSK की प्लेइंग इलेवन
SRH के साथ जुड़े हैं मुरलीधरन
गौरतलब है कि Muttiah Muralitharan IPLकी टीम सनराइजर्स हैदराबाद के वर्ष 2015 से बॉलिंग कोच हैं। उनके कार्यकाल में 2016 में SRH ने IPL का खिताब जीता है। इसके अलावा वह तमिलनाडु प्रीमियर लीग के दूसरे एडिशन में थिरुवल्लुर वीरंस के हेड कोच भी रहे थे। हालांकि IPL के मौजूदा सीजन में हैदराबाद की टीम अच्छी शुरुआत नहीं कर सकी है। टीम को तीनों शुरुआती मैच में हार का सामना करना पड़ा है। टीम पॉइंट टेबल में अंतिम स्थान पर है। मुरलीधरन 2008 से 2014 तक IPL में RCB और KKR की ओर से खेल चुके हैं। उन्होंने 66 मैचों में 6.68 की इकोनॉकी रेट से 63 विकेट चटकाए थे।
IPL 2021: CSK और RR के बीच आज महामुकाबला
सबसे सफल गेंदबाज
Muttiah Muralitharan 1347 विकेटों के साथ इंटनेशनल क्रिकेट के सबसे सफल गेंदबाज हैं। टेस्ट क्रिकेट में 800 विकेट लेने वाले मुथैया मुरलीधरन दुनिया के एकमात्र गेंदबाज हैं। मुरलीधरन ने अगस्त 1992 में डेब्यू किया था और उस समय भारत के महान गेंदबाज कपिल देव टेस्ट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। मुरलीधरन उस समय टॉप 10 में भी कहीं नहीं थे। हमेशा अपनी मुस्कान के लिए जाने वाले मुरलीधरन 2004 में गेंदबाजों की रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंचे थे।
Asian Wrestling Championship: फाइनल में ओलंपिक चैंपियन से हारे दीपक पूनिया
मुरलीधरन ने 350 वनडे मैचों में चटकाए 534 विकेट
Muttiah Muralitharan के करियर का आधा समय अपनी गेंदबाजी वैधता को ही साबित करने में लग गया, इसके लिए उनके साथ खेलने वाले खिलाड़ियों ने अंपायर और संबंधित संस्थानों की आलोचना भी की। मुरलीधरन ने श्रीलंका के लिए 133 टेस्ट मैचों में 800 विकेट लिए हैं। इसके अलावा उन्होंने 350 वनडे मैचों में 534 विकेट भी झटके हैं। उन्होंने 2010 में टेस्ट से संन्यास ले लिया था। वहीं, उनका अंतिम वनडे मैच 2011 का विश्व कप फाइनल मैच था, जिसमें श्रीलंका को भारत के हाथों खिताबी हार का सामना करना पड़ा था।