Tokyo Paralympics के बाद स्पोर्ट्स के पोस्टर बॉय बने सुमित अंतिल

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Sumit Antil become sports poster boy after Tokyo Paralympics latest sports news in hindi
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नई दिल्ली। अपने पहले पैरालंपिक खेलों (Tokyo Paralympics)में जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमित अंतिल अब एक सेलिब्रिटी बन चुके हैं। रेसलर के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाला हरियाणा का यह 23 वर्षीय खिलाड़ी अब टोक्यो पैरालंपिक के बाद स्पोर्ट्स का पोस्टर बॉय बन चुका है।

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अंतिल ने अपने एक साक्षात्कार में एक अंग्रेजी वेबसाइट को बताया, “मैंने Tokyo Paralympics में पदक जीता, लेकिन हमें जो स्वागत मिला वो शानदार था। मेरे राज्य के मुख्यमंत्री हवाई अड्डे पर हमें लेने आए, वहां भारी भीड़ हमारे स्वागत के लिए मौजूद थी। गांव में मेरे लिए एक जुलूस निकाला गया। यह पदक की अहमियत को बढ़ा देता है और यह आपको और भी खास अहसास कराता है। ये मेरे जीवन के कुछ बेहतरीन पल हैं।“

अंतिल ने पिछले महीने Tokyo Paralympics में 68.55 मीटर के थ्रो के साथ एफ 64 इवेंट में तीन बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ा और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। भले ही अंतिल विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता हैं, लेकिन किसी ने भी टोक्यो में उनके रिकॉर्ड-ब्रेकिंग प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की थी।

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वे मानते हैं, “जब आप ओलंपिक या पैरालंपिक जैसी प्रतियोगिताओं की बात करते हैं, तो चीजें बहुत अनिश्चित होती हैं। उस दिन क्या होगा, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता। मैं पैरालंपिक की दौड़ में बहुत अच्छा कर रहा था, इसलिए मुझे पता था कि मैं स्वर्ण पदक का दावेदार हूं। लेकिन, मुझे यकीन नहीं था। मैं एक पदक जीतने के लिए बहुत आश्वस्त था, लेकिन यह स्वर्ण पदक होगा, इसका अंदाजा नहीं था।”

भारतीय कुश्ती के उद्गम स्थल सोनीपत में जन्मे अंतिल का इस खेल से लगाव स्वाभाविक था। चार बहन-भाइयों में सबसे छोटे और अकेले लड़के अंतिल कुश्ती में अपना करियर बनाने और स्पोर्ट्स कोटा के जरिए भारतीय सेना में जगह बनाने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन, 2015 में उनकी मोटरसाइकिल के तेज रफ्तार ट्रक से टकरा जाने के बाद उनके सपने चकनाचूर हो गए और उनका बायां पैर काटना पड़ा।

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अंतिल ने कहा, “मैं दिसंबर 2017 में पैरा स्पोर्ट में शामिल हुआ। मुझे पता है कि चार साल एक नया खेल सीखने और उसमें स्वर्ण पदक जीतने के लिए ज्यादा समय नहीं है। लेकिन, इन चार सालों में मैंने कड़ी मेहनत की है। संघर्ष और दर्द झेला तथा त्याग किया है। मैंने कहीं भी जाना बंद कर दिया था। मैं चार साल तक केवल खेल पर केंद्रित रहा। जब मैं Tokyo Paralympics के लिए गया था, तब मुझे पता था कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं इससे और अधिक मेहनत कर सकता था।”

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