नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत की बॉक्सर लवलिना बोरगोहेन (lovlina borgohain) ने क्वार्टर फाइनल में 69 किग्रा वेट में अपना मुकाबला जीतकर ओलपिक में अपना मेडल पक्का कर लिया है। लवलिना का सेमीफाइनल मैच 4 अगस्त को खेला जाएगा। लवलिना यदि सेमीफाइनल मुकाबला जीत लेती हैं तो ओलंपिक गेम्स में भारत की सबसे सफल मुक्केबाज बन जाएंगी। उनसे पहले कोई भारतीय मुक्केबाज कांस्य पदक से आगे नहीं बढ़ पाया है। विजेंदर सिंह ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में और एमसी मेरीकॉम ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।
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अब गोल्ड मेडल जीतना ही टारगेट
Tokyo Olympics में भारत के लिए एक और मेडल पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलिना बोरगोहेन ने कहा कि अब मेरा लक्ष्य केवल गोल्ड मेडल जीतना है। इससे पहले महिलाओं की 69 किलोग्राम वेट कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल में चाइनीज ताइपे की चिए निएन चेन को हराने के बाद उन्होंने कहा- गोल्ड ही वह मेडल है जिसके लिए हम खेलते हैं। क्वार्टर फाइनल में जीत से मैं संतुष्ट होने वाली नहीं हूं।
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दाल-चावल खाकर बड़ी हुई है लवलिना
पिता टिकेन बोरगोहेन ने कहा कि लवलिना दाल-चावल खाकर बड़ी हुई है, हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी कि हम उनके लिए अलग से व्यवस्था कर पाते। वह सामान्य बच्चों की तरह थी। Tokyo Olympics जाने से पहले उसने वादा किया था कि ओलंपिक में एक मेडल जीतना है, उसने वादा पूरा किया। मुझे पूरी उम्मीद है कि वह फाइनल तक पहुंचेगी और देश के लिए सोना जीतेगी।
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उपकरणों और डाइट के लिए लवलिना को करना पड़ा संघर्ष
असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली लवलिना Tokyo Olympics में भाग लेने वाली असम की पहली महिला खिलाड़ी हैं। लवलिना बॉक्सिंग में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं। वे किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल पर मेडल जीत चुकी हैं।लवलिना ने अपनी जुड़वा बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था। (SAI) के असम रीजनल सेंटर में सिलेक्शन होने के बाद वे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने लगी थीं। उनकी दोनों बहनें भी किक बॉक्सिंग में नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं। लवलिना को बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी। शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था। इक्विपमेंट और डाइट के लिए संघर्ष करना पड़ता था।