दिल्ली। Cricket : पूर्व भारतीय ऑलराउंडर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन (अब अनाया) ने जेंडर चेंज करवा लिया है। अब इस संबंध में उन्होंने जेंडर चेंज (हार्माेनल ट्रांसफॉर्मेशन) का अनुभव साझा किया है। आर्यन अब अनाया बन गई हैं। उन्होंने 11 महीने पहले हार्माेन रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT) कराई थी।
23 साल के आर्यन ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ’ताकत खो रहा हूं, लेकिन खुशी पा रहा हूं। शरीर बदल रहा है, डिस्फोरिया (अवसाद, खुशी न होना जैसी स्थिति) कम हो रहा है… अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन हर कदम मुझे अपने जैसा लगता है।’
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ECB के नियम से करियर खत्म
आर्यन (अनाया) अपने पिता की तरह खुद भी क्रिकेटर हैं। वे बाएं हाथ के बल्लेबाज रहे हैं, जो एक लोकल Cricket क्लब, इस्लाम जिमखाना के लिए क्रिकेट खेलते रहे हैं। इसके अलावा वे लीस्टरशायर में हिंकले क्रिकेट क्लब के लिए भी काफी रन बना चुके हैं। लेकिन अब वो जेंडर चेंज के बाद विमेंस क्रिकेट में भी नहीं खेल सकेंगे। दरअसल, इंग्लिश एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने 20 अक्टूबर को ट्रांसजेंडर विमेंस को महिलाओं के प्रोफेशनल क्रिकेट से बैन कर दिया था। इसके चलते आर्यन (अनाया) अब विमेंस क्रिकेट में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।
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साझा किया Cricket से दूर होने का अपना अनुभव
आर्यन (अनाया) ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में अपना अनुभव साझा किया है। उन्होंने लिखा, ’मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे उस खेल (Cricket) को छोड़ना पड़ेगा, जो मेरा जुनून और मेरा प्यार रहा है। लेकिन यहां मैं एक दर्दनाक वास्तविकता का सामना कर रही हूं। हार्माेन रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT) कराकर एक ट्रांस महिला बनने के बाद मेरे शरीर में बहुत ज्यादा बदलाव आया है। मैं अपनी मांसपेशियों, ताकत, मांसपेशियों की याददाश्त और एथलेटिक क्षमताओं को खो रही हूं, जिन पर मैं कभी निर्भर थी। जिस खेल से मैं इतने लंबे समय से प्यार करती थी, वह मुझसे दूर होता जा रहा है।
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हार्माेन रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT) क्या है
इस प्रक्रिया में महिला या पुरुष के हार्मोंस में बदलाव करके उनके जेंडर में बदलाव किया जाता है। इसमें प्लास्टिक सर्जरी का सहारा भी लिया जाता है। भारत में इसे 2014 में मान्यता मिली थी। जेंडर चेंज सर्जरी की पूरी प्रक्रिया में कम से चार डॉक्टर, मनोरोग विशेषज्ञ, सर्जन, गाइनेकोलॉजिस्ट और एक न्यूरो सर्जन रहता है। डॉक्टर बताते हैं कि ये सर्जरी 21 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर ही की जाती है। इससे कम उम्र में माता-पिता की ओर से लिखित में सहमति लेने के बाद ही ऑपरेशन किया जाता है।