टोक्यो। Tokyo Olympics Hockey: भारत के लिए 13वां दिन बेहद खास होने वाला है। पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची भारतीय महिला हॉकी टीम बुधवार को दो बार की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट अर्जेंटीना के खिलाफ इतिहास रचने उतरेगी। भारतीय टीम तीन बार की गोल्ड मेडलिस्ट ऑस्ट्रेलिया को हराकर आ रही है। चक दे गर्ल्स ने जिस अंदाज में तीन बार की गोल्ड मेडलिस्ट ऑस्ट्रेलिया को मात दी थी, उससे वह उलटफेर कर दे तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
From Tokyo 🇯🇵
With love 🇮🇳Join us in wishing the Women in Blue before their historic game. 💙#HaiTayyar #IndiaKaGame #Tokyo2020 #TeamIndia #TokyoTogether #StrongerTogether #HockeyInvites #WeAreTeamIndia #Hockey pic.twitter.com/n8RIfftz8t
— Hockey India (@TheHockeyIndia) August 3, 2021
भारत की लड़कियां अगर महिला Hockey के सेमीफाइनल में जीत दर्ज कर लेती हैं तो पिछले 41 सालों में यह भारत का पहला गोल्ड या सिल्वर मैडल होगा। भारतीय महिला हॉकी टीम तमाम आशंकाओं को दरकिनार कर सेमीफाइनल में पहुंची है इसलिए खिलाड़ियों पर जरा भी दबाव नहीं है। यही स्थिति क्वार्टर फाइनल में भी भारत के पक्ष में थी और टीम ने ऑस्टेलिया को मात दे दी। अब देखना है कि अर्जेंटीना के खिलाफ भारत का प्रदर्शन कैसा रहता है।
“At this stage of the competition, matches do not get any easier, & we are going to give everything we have on the field.”
Ahead of the historic Semi-Final, #TeamIndia‘s Captain, Rani says that the team is ready for their toughest test.https://t.co/YLxpgLI0BS#IndiaKaGame
— Hockey India (@TheHockeyIndia) August 3, 2021
पूल स्टेज में अर्जेंटीना ने खाए 8 गोल, भारत ने 14
इस ओलिंपिक में Hockey में लीग स्टेज का प्रदर्शन देखें तो भारत और अर्जेंटीना लगभग बराबरी पर हैं। भारत ने 7 तो अर्जेंटीना ने 8 गोल किए थे, लेकिन कम गोल खाने के मामले में अर्जेंटीना की टीम बेहतर रही है। पूल मैचों में भारत ने 14 और अर्जेंटीना ने 8 गोल खाए थे। हालांकि अपने-अपने क्वार्टर फाइनल में दोनों टीमें क्लीन शीट रखने में सफल हुई थीं। भारतीय डिफेंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जैसा प्रदर्शन किया था, अगर वह दोहरा दे तो फाइनल में एंट्री लगभग पक्की हो जाएगी।
Tokyo Olympics: #Boxing.. लवलीना के पास मेडल का रंग बदलने का मौका
सविता पूनिया फिर बनेंगी टीम की दीवार
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत में भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया ने बहुत बड़ा रोल प्ले किया था। उन्होंने मैच में नौ बार तयशुदा दिख रहा गोल नहीं होने नहीं दिया। अर्जेंटीना की टीम काउंटर अटैक और दोनों फ्लैंक से हमला करने में माहिर है। ऐसे में एक बार फिर सविता को टीम इंडिया की दीवार बनना होगा।
Tokyo Olympics: लवलीना के पास मेडल का रंग बदलने का मौका
भारत की महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन आज 69 किग्रा कैटेगिरी के सेमीफाइनल मुकाबले की रिंग में उतरेंगी। उनके सामने होंगी मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली। दोनों ही मुक्केबाज पहली बार आमने-सामने होंगी। सेमीफाइनल में जगह बनाकर लवलीना पहले ही Tokyo Olympics में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। ऐसे में लवलीना के पास आज मौका होगा कि वो सेमीफाइनल जीतकर अपने मेडल का रंग बदल सकें।
𝗦𝗘𝗠𝗜𝗙𝗜𝗡𝗔𝗟 🤩
With an aim to change the colour of her assured medal @LovlinaBorgohai will take on 🇹🇷’s Busenaz S in the semi-final of 69 kg at @Tokyo2020 tomorrow 💪🏻
Send in your wishes ⬇️#RingKeBaazigar#Boxing#Tokyo2020#Cheer4India#TeamIndia pic.twitter.com/n3TbgprLwD
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असम की 23 वर्षीय लवलीना इतिहास रचने की दहलीज पर हैं। वह कांस्य पदक पर अपना नाम लिखवाकर विजेंदर सिंह (2008) और एमसी मैरीकॉम (2012) की बराबरी कर चुकी हैं, लेकिन उनका लक्ष्य फाइनल में पहुंचना है, जहां अब तक कोई भी भारतीय नहीं पहुंचा। लवलीना का सेमीफाइनल मुकाबला आज (4 अगस्त) सुबह 11 बजे होगा।
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लवलीना बोरगोहेन ने Tokyo Olympics के क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की पूर्व विश्व चैंपियन निएन चिन चेन को 4-1 से मात दी थी। जीत के बाद लवलीना ने कहा था, ‘दबाव हमेशा बना रहता है, लेकिन इस बार मैंने दबाव में नहीं खेलने की कोशिश की, क्योंकि इससे प्रदर्शन पर असर पड़ता है। मुझे पता था कि पूरा देश मेरे लिए दुआ कर रहा है। मुझे बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देना था।’
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नीरज चोपड़ा जेवेलिन थ्रो के फाइनल में पहुंचे
Tokyo Olympics के मैंस जेवेलिन थ्रो में भारत के नीरज चोपड़ा शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में पहुंच गए हैं। जेवेलिन थ्रो में ऑटोमेटिक क्वालीफिकेशन मार्क 83 मीटर रखा गया था। लेकिन नीरज ने अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो किया। इस तरह नीरज ने ग्रुप ए में टॉप पर रहते हुए फाइनल के लिए क्वालिफाई किया। इस इवेंट का फाइनल मुकाबला 7 अगस्त शाम साढ़े 4 बजे खेला जाएगा। नीरज के अलावा रोमानिया के एलेक्जेंडर नोवाक ने भी पहले ही थ्रो में ऑटोमेटिक क्वालीफिकेशन के मार्क को पार किया। हालांकि उनका थ्रो नीरज से काफी पीछे रहा।