Manika Batra Case: हाईकोर्ट ने लगाई फेडरेशन को फटकार, केंद्र से कहा सीलबंद लिफाफे में सौंपे जांच रिपोर्ट

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नई दिल्ली। Manika Batra प्रकरण में कोर्ट ने एक बार फिर भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (TTFI) को कड़ी फटकार लगाई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि महासंघ के खिलाफ आवाज उठाने और कोर्ट में याचिका दायर करने पर महासंघ द्वारा टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को कथित तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।

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न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने सुनवाई के दौरान TTFI के रवैये पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि खिलाड़ी को इस तरह से निशाना नहीं बनाया जा सकता है और अगर ऐसा हो रहा है तो यह गंभीर समस्या है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में गंभीर कदम उठाए जाने चाहिएं और महासंघ को भंग करके एक तदर्थ समिति नियुक्त की जानी चाहिए। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट Manika Batra की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने यह मांग उठाई है कि इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में चयन के लिए नेशनल कैंप में अनिवार्य उपस्थिति के नियम को रद्द किया जाए।

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TTFI का आरोपों से इनकार

अदालत ने टीटीएफआई को अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ITTF) से Manika Batra को लेकर किए गए पत्र व्यवहार को 15 नवंबर को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसी बीच टीटीएफआई के वकील ने मनिका के आरोपों को गलत बताया है।

केंद्र सरकार ने तैयार की जांच रिपोर्ट

Manika Batra की याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल कैंप में अनिवार्य उपस्थिति के नियम पर रोक लगा दी थी। साथ ही इस मामले में केंद्र सरकार को जांच के निर्देश दिए थे। केंद्र के वकील के अनुसार जांच रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में कोर्ट में जमा कराने को कहा है।

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क्या है मामला

दरअसल, TTFI ने में एशियन चैंपियनशिप के लिेए टीम का ऐलान किया था। इस टीम में Manika Batra का नाम शामिल नहीं था। फेडरेशन का कहना था कि मनिका ने सोनीपत में नेशनल कैंप में हिस्सा नहीं लिया था जिसके चलते उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया। फेडरेशन ने पहले ही आगाह किया था कि सभी खिलाड़ियों को कैंप में हिस्सा लेना अनिवार्य था। इस फैसले से वह काफी नाराज थीं। इसीलिए उन्होंने फेडरेशन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट जाने का फैसला किया और याचिका दायर की।

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केंद्र ने कहा, चयन का आधार सिर्फ योग्यता

Manika Batra की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा था। इसके जवाब में केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अपना पक्ष रखा। इसमें कहा गया, ‘उम्मीदवारों के चयन के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होना चाहिए और इससे किसी शिविर में भाग लेने/भाग नहीं लेने से कोई संबंध नहीं है, भारत अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को आगे भेजने से नहीं रोकेगा।’ केंद्र के जवाब के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस संघ के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें उसने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चुने जाने के लिए नेशनल कैंप में भाग लेना अनिवार्य किया था।

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