व्हील चेयर पर बैठे Shams Alam को नहीं मिलती थी स्वीमिंग पूल में एंट्री, आज हर दरिया पड़ता है छोटा
पटना/मुंबई। शरीर से अक्षम, लेकिन मन से मजबूत, जोश से भरपूर.. खिले हुए चेहरे और कभी भी किसी परिस्थिति में हार नहीं मानने का जज्बा। यह कहानी है राज्य बिहार और जिला मधुबनी के शम्स आलम की। आज Shams Alam सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश-विदेश में एक पैरा स्वीमर के तौर पर नाम कमा रहे हैं और कई रिकॉर्ड भी उनके नाम हैं।
लेकिन उनका यहां तक का सफर एक रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं रहा। Shams Alam का जन्म रथोस गांव में मो. नसीर के घर 17 जुलाई 1986 को हुआ। बचपन से ही Shams Alam को खेलकूद से विशेष लगाव था और तैराकी उनका जुनून था।
शम्स का पूरा बचपन इसी तरह खेलकूद में मधुबनी में ही बीता। फिर एक दिन उनके परिवार ने उन्हें मुंबई भेजना तय किया। मुंबई में भी उन्होंने सरकारी स्कूल में पढऩा शुरू किया। यहां भी उन्हें गांव की नदियां बेतहाशा याद आतीं। धीरे-धीरे शहर में मन रमने लगा। यहां मार्शल आर्ट सीखी और कई मेडल जीते। तैराकी और मार्शल आर्ट का जुनून उन्हें Asian Games की मजबूत दावेदारी तक ले आया। लेकिन फिर एक दिन…..।
“The water is your friend, you don’t have to fight with water, just share the same spirit as the water, and it will help you move. If you fight the water it will defeat you . We were born in water, it’s like home to me.”#shamsaalam #becauseweexist#thursdayvibes @Para_swimming pic.twitter.com/6V1KHWTLOl
— Shams Aalam (@IamShamsAalam) August 6, 2020
अचानक तकलीफ और सब कुछ बदल गया
कुछ साल पहले खेलकूद प्रेक्टिस के दौरान ही Shams Alam की पीठ में हल्का-हल्का दर्द रहने लगा और चाल बदलने लगी। डाक्टरों को दिखाया तो स्पाइन में एक गांठ होना बताया गया और सर्जरी की सलाह दी गई। Asian Games की बेहद मजबूत दावेदारी छोड़कर वे अस्पताल में भर्ती हो गया। सर्जरी भी हुई लेकिन सीने के नीचे का शरीर सोया रहता। डॉक्टर भरोसा दिलाते रहे कि बस, 15-20 दिन बाद फिर दौड़ने लगोगे। लेकिन यह इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ। जब कोई फायदा नहीं हुआ तो दोबारा सर्जरी के बाद गांठ निकल गई लेकिन कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो चुका था। डॉक्टरों की नई टीम ने खास डॉक्टरी लहजे में बताया- इसे पैराप्लेजिक होना कहते हैं।
फिजियो थैरपी ने फिर पानी तक पहुंचाया..लेकिन व्हील चेयर पर
लाचारी के इस दौर में फिजियोथैरेपी के एक सेशन में डॉक्टर ने बताया कि तैराकी से इस तरह की बिमारी में काफी मदद करती है। Shams Alam को शायद यहीं सुनने की चाह भी थी। जिस शाम चिकित्सकों ने यह कहा उसकी अगली सुबह का इंतजार अब वे नहीं कर पा रहे थे। अगले रोज वे स्विमिंग पूल पहुंचे लेकिन पूल वालों को समझ ही नहीं आया कि वे अपने लिए एंट्री मांग रहे हैं । एक के बाद एक कई जगहों पर मना किया गया। सबको डर था कि व्हीलचेयर पर बैठे Shams Alam पानी में कुछ नहीं कर सकेंगे। सभी को डर था कि अगर वे डूब गए तो उनका पूल बंद हो जाएगा।
Let’s meet tomorrow#shamsaalam #becauseweexist #instalive https://t.co/tz3Ca8F1F8 @DisinSport @AdaniSportsline @adidas @TheBridge_IN @toisports @Shaikhtabi2 @imrahultrehan #ThursdayThoughts pic.twitter.com/fTO2AeB6tl
— Shams Aalam (@IamShamsAalam) July 30, 2020
फिर Shams Alam ने बनाए रिकॉर्ड दर-दर रिकॉर्ड
इसके बाद शम्स का मन पानी में ही रमने लगा। बहुत आहिस्ते से लेकिन सतत रूप से उन्होंने पैरालंपिक गेम्स की तैयारियां शुरू कीं। हाल ही में Shams Alam ने गंगा रीवर स्विमिंग चैम्पियनशिप के अपने कोटि में दो किलोमीटर का रेस 12 मिनट 23 सेकेंड में पूरा कर इतिहास रचा था। इस उपलब्धी को india book of records में भी दर्ज हुआ। अब शम्स asia book of records समेत limca book of records तथा guinness book of world records में नाम दर्ज कराने के प्रयासों में जुटे हुए है।
ठाकरे साहेब, नाम रोशन किया है देश का, Sukant Kadam की मदद कीजिए
जीते कई खिताब, मिले अनेक सम्मान
Shams Alam ने पॉलेण्ड में वर्ष 2019 में 20 से 24 नवम्बर के बीच पॉलिस ओपन स्विमिंग चैम्पियनशिप के छह विधाओं में भाग लेकर 50 मीटर बटरफ्लाई तथा 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रॉक एसबी 4 में चैंपियन बनकर देश का नाम रोशन किया था। जो देश के लिए एक नेशनल रिकार्ड भी बताया जा रहा है। इसके साथ ही वे बिहार चुनाव आयोग के ब्रांड एम्बेसडर बनाए गए। राज्य सरकार के खेल विभाग द्वारा बिहार टास्क फोर्स का इन्हें सदस्य बनाया गया। वर्ष 2018 में बिहार खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित Shams Alam को 2019 में कर्ण इंटरनेशनल अवार्ड भी मिल चुका है।