नई दिल्ली। टोक्यों ओलंपिक (Tokyo Olympics) में वंदना कटारिया की ऐतिहासिक हैट्रिक के दम पर महिला Hockey में भारत ने आज रोमांचक मैच में दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से हरा दिया है। वंदना ओलंपिक हॉकी के इतिहास में हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं।
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पिता बने प्रेरणा स्रोत
Vandana Kataria का जन्म 15 अप्रैल 1992 में उत्तराखंड के हरिद्वार के छोटे से गांव रोशनाबाद में हुआ था। मगर उनका बचपन हरिद्वार में बीता। वंदना की 3 बहनें और 4 भाई हैं। वंदना के पिता को हमेशा से ही खेल-कूद से लगाव था। वह हमेशा ही अपने सभी बच्चों को खेल-कूद में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। पिता से बढ़ावा मिलने पर ही वंदना का रुझान भी खेल की ओर बढ़ा और उन्होंने हरिद्वार के रोशनाबाद स्टेडियम से खो-खो खेलना शुरू किया। लेकिन अच्छी सुविधा न मिलने पर वंदना लखनऊ के सरकारी स्पोर्ट्स हॉस्टल चली गईं और आगे की ट्रेनिंग वहीं से ली। टोक्यो ओलंपिक से 3 महीने पहले अप्रैल में नाहर सिंह का निधन हो गया था। इसके बाद वंदना ने उनकी याद को ही अपनी प्रेरणा बना लिया। पिता के लिए ओलंपिक मेडल जीतने को ही एकमात्र लक्ष्य बना लिया।
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खो-खो प्लेयर से बनीं हॉकी प्लेयर
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि Vandana Kataria पहले खो-खो प्लेयर थीं और उन्होंने नेशनल लेवल पर देश के लिए कई खो-खो मैच खेले भी हैं। लेकिन वर्ष 2002 में वंदना ने अपने करियर की दिशा को मोड़ते हुए खो-खो की जगह Hockey का चुनाव किया। इसके लिए वंदना के प्रेरणा स्रोत खुद उनके कोच बने। वंदना की रनिंग बहुत अच्छी थी और यह देखते हुए उनके कोच ने उनसे मजाक-मजाक में कहा कि उन्हें हॉकी खेलना चाहिए। बस फिर उन्होंने खो-खो छोड़ कर हॉकी खेलना शुरू कर दिया।
Tokyo Olympics: Hockey.. वंदना की ऐतिहासिक हैट्रिक, भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से ठोका
ब्याज पर पैसे लेकर पिता उठाया खर्च
Hockey प्लेयर बनने के लिए Vandana Kataria में मेहनत करने का जज्बा तो था, लेकिन इस खेल के लिए ट्रेनिंग लेने के लिए वंदना के पास पैसे नहीं थे। परिवार में वंदना के पिता को छोड़ कर और कोई नहीं चाहता था कि वह खेल में आगे बढ़े क्योंकि सब यही सोचते थे कि लड़की हो कर घर से बाहर जाना अच्छा नहीं है। लेकिन उनके पापा ने उनको सपोर्ट किया और वह आगे बढ़ी।’ वंदना के पिता नाहर सिंह बीएचईएल में काम करते थे। बेटी के खेल में कोई अड़चन न आए, इसके लिए पिता नाहर सिंह ने ब्याज पर पैसे लेकर वंदना का खर्च उठाया।
यूं चला सफलता का सिलसिला
हालांकि, वर्ष 2006 जूनियर Hockey भारतीय टीम में चयनित होकर Vandana Kataria अपनी श्रेष्ठता और पापा के निर्णय को सही साबित किया। इसके बाद यहां लोगों में बदलाव दिखा। बहुत कम समय में बढिय़ा प्रदर्शन की बदौलत वंदना को वर्ष 2010 में सीनियर महिला टीम में भी मौका मिल गया। यह 2013 में जर्मनी में हुए जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं। इस दौरान यह इस स्पर्धा में सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी बनी। इन्होंने 4 खेलों में 5 गोल दागे थे।।
Vandana Kataria की उपलब्धियां
जूनियर महिला वर्ल्ड कप Hockey 2013 में कांस्य
एशियन गेम्स 2014 में कांस्य
जूनियर महिला एशिया कप 2011 में रजत
जूनियर महिला एशिया कप 2008 में कांस्य
सीनियर महिला एशिया कप 2013 में कांस्य
एशियन चैंपियनशिप 2013 में रजत
लग राउंड टू इंटरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट 2013 में स्वर्ण
कॉमनवेल्थ गेम्स 2013