टोक्यो। Tokyo Olympics: #Fencing…टोक्यो ओलंपिक की तलवारबाजी स्पर्धा में भारतीय चुनौती भवानी देवी (Bhavani Devi) की हार के साथ ही समाप्त हो गई। लेकिन अगर देखा जाए तो यह तलवारबाजी जैसे खेल में भारती की शुरूआत भी मानी जा सकती है। भवानी देवी का सफर टोक्यो में भले ही समाप्त हो गया हो लेकिन उन्होंने इतिहास तो रचा ही है। भवानी तलवारबाजी जैसे खेल में भारत की तरफ से क्वालिफाई करने वालीं पहली खिलाड़ी बनीं। इतना ही नहीं पहले राउंड में जोरदार जीत भी हांसिल की। दूसरे राउंड में हारीं लेकिन वर्ल्ड नंबर 3 खिलाड़ी मैनन ब्रुनेट से। इस लिहाज से उनकी मेहनत और लगन की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने इस खेल में भारतीय खिलाड़ियों और खासकर महिलाओं के लिए एक रास्ता तो खोला ही है।
Bhavani Devi bowed out of the #Fencing second round at #Tokyo2020 against World No. 3 Monon Brunet 7-15 of #FRA
She becomes the first #IND fencer to qualify for the #Olympics and to win a first round match 🙌👏#UnitedByEmotion | #StrongerTogether | @IamBhavaniDevi pic.twitter.com/MePtsTjoI5
— #Tokyo2020 for India (@Tokyo2020hi) July 26, 2021
जिस तरह से भवानी ने मैनन ब्रुनेट का सामना किया, उससे लगा नहीं कि इस खिलाड़ी ने इस खेल की शुरूआत बांस की लकड़ी से की थी। महंगे संसाधन नहीं खरीद पाने के कारण भवानी (Bhavani Devi) ने बांस की स्टिक से ही तलवारबाजी की शुरूआत की। अब बात की जाए इस खेल को चुनने की। तो ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भवानी जब स्कूल की स्पोर्ट्स टीम में नाम लिखवाने गईं तो पता चला कि तलवारबाजी के अलावा कोई दूसरी टीम में जगह ही खाली नहीं है। उस समय कौन जानता था कि मजबूरी में चुने गए इस खेल के साथ भवानी का सफर टोक्यो ओलंपिक तक पहुंचेगा।
Tokyo Olympics: तलवारबाजी में दूसरे दौर में हारीं भवानी देवी, क्वार्टर फाइनल में भारतीय तीरंदाजी टीम
टोक्यो में भवानी (Bhavani Devi) के इस सफर को इसलिए भी याद किया जाना चाहिए कि कई बड़े खिलाड़ी बिना लड़े ही हारकर घर वापसी कर चुके हैं। वहीं उन सबकी भीड़ से अलग भवानी ने ना सिर्फ लड़ाई लड़ी बल्कि एक पायदान पर जीत भी हांसिल की। वो भी उस खेल में, जिसे शायद हिंदुस्तान में कोई खेलना भी नहीं चाहता।