शशांक मनोहर ने ICC चेयरमैन पद से दिया इस्तीफा

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Shashank Manohar resigns as ICC chairman
Shashank Manohar resigns as ICC chairman
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इमरान ख्वाजा को सौंपी अंतरिम चेयरमैन की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के चेयरमैन शशांक मनोहर ने बुधवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। शशांक 2016 से लगातार इस पद पर काम कर रहे थे। उस समय उन्हें स्वतंत्र चेयरमैन के तौर पर चुना गया था। इसके बाद 2018 में उन्हें एक बार फिर इस पद पर सर्वसम्मति से निर्वाचित किया गया। आईसीसी सूत्रों के अनुसार डेप्युटी चेयरमैन इमरान ख्वाजा को अंतरिम चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो चुनाव प्रक्रिया निर्धारित होने तक पदभार संभालेंगे।

आईसीसी ने अपने बयान में कहा- आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने दो साल के कार्यकाल के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। आईसीसी बोर्ड ने आज बैठक की और इस बात पर सहमति जताई कि डेप्युटी चेयरमैन इमरान ख्वाजा चेयरपर्सन की जिम्मेदारी संभालेंगे। आईसीसी के नियमों के अनुसार, मनोहर दो साल के कार्यकाल के लिए रह सकते थे, क्योंकि अधिकतम तीन कार्यकाल की अनुमति है लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और अपने पद से इस्तीफा देकर चुनावों का रास्ता खोल दिया। अगले अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को अगले सप्ताह के भीतर आईसीसी बोर्ड द्वारा अनुमोदित किए जाने की उम्मीद है।

ऐसी प्रबल संभावना है कि इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख कोलिन ग्रावेस उनकी जगह लेंगे। गौरतलब है कि बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष मनोहर आईसीसी में तीसरी बार दो साल का कार्यकाल विस्तार नहीं चाहते थे। हालांकि, हॉन्गकॉन्ग के इमरान ख्वाजा का नाम भी इस पद की दौड़ में था लेकिन समझा जाता है कि उन्हें पूर्णकालिक सदस्यों का समर्थन नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि ग्रावेस को सभी प्रमुख टेस्ट देशों का समर्थन हासिल है। बता दें कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) मनोहर को लेकर हमेशा ही पेशोपेश में रहा। दरअसल, उनका रवैया कइयों को भारतीय बोर्ड के खिलाफ लगता था। दूसरी ओर, माना जा रहा है कि इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ग्रावेस की दावेदारी के पक्ष में है। भारतीय बोर्ड से भी उनके अच्छे संबंध हैं हालांकि बीसीसीआई ने खुलकर उनकी दावेदारी का समर्थन नहीं किया है। समझा जाता है कि मनोहर की तुलना में ग्रावेस के साथ बीसीसीआई (BCCI) के संबंध अच्छे रहेंगे। मनोहर पर आरोप लगता रहा है कि एन. श्रीनिवासन के समय में उन्होंने भारतीय हितों की अनदेखी की।

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