Asian Weightlifting Championships: मीराबाई चानू ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

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ताशकंद । पूर्व विश्व चैंपियन भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने शनिवार को एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप (Asian Weightlifting Championships) में शानदार प्रदर्शन किया। चानू ने क्लीन एंड जर्क में 49 किग्रा में विश्व कीर्तिमान स्थापित किया और साथ ही ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसके अलावा उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया। चानू ने अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड में भी सुधार किया है।

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चानू ने उठाया 205 किग्रा भार  

Asian Weightlifting Championships में चानू ने स्नैच में 86 किग्रा का भार उठाया और क्लीन एंड जर्क में 119 किग्रा का भार उठाकर विश्वकीर्तिमान स्थापित किया। चानू ने कुल 205 किग्रा का भार उठाते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। इससे पहले क्लीन एंड जर्क में विश्व रिकॉर्ड 118 किग्रा का था।

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व्यक्तिगत रिकॉर्ड में किया सुधार 

49 किग्रा में मीराबाई चानू का सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर 203 किग्रा (88+115 किग्रा) का था जो उन्होंने पिछले साल फरवरी में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में बनाया था। इस भार वर्ग में स्पर्धा का गोल्ड चीन की होउ झिहुई के नाम रहा, जिन्होंने स्नैच में विश्व रिकॉर्ड बनाया और कुल 213 किग्रा (96+117 किग्रा) का भार उठाकर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। वहीं जियांग हुईहुआ ने कुल 207 किग्रा (89+118 किग्रा) का भार उठा सिल्वर मेडल हासिल किया।

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चोटिल बजरंग फाइनल से हटे, रवि को गोल्ड

कजाखस्तान के अलमाटी में चल रही Asian Weightlifting Championships में 65 किग्रा में भारत के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया चोटिल होने के कारण फाइनल मुकाबले से हट गए हैं। वहीं रवि दहिया ने गोल्ड मेडल हासिल किया है। गौरतलब है कि बजरंग को सेमीफाइनल मुकाबले में कंधे में चोट लग गई थी, जिसके बाद उन्होंने स्वर्ण पदक मुकाबला नहीं लड़ा। उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। वहीं, नरसिंह यादव, करण और सत्यव्रत कादियान ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए।

आटोगुरा को हुआ फायदा 

Asian Weightlifting Championships के तहत शनिवार को 65 किग्रा में बजरंग ने कोरिया के ज्योंग को 3-0 से और सेमीफाइनल में मंगोलिया के शरमंधाक को 7-0 से चित करते हुए जीत हासिल की। फाइनल नहीं लड़ने के कारण बजरंग के विरोधी जापानी पहलवान आटोगुरा को इसका फायदा मिला, उन्हें वॉकओवर में विजेता घोषित कर दिया गया। इस वजह से बजरंग को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा

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