1959 में पहलवान रुस्तम-ए-पंजाब बटा सिंह को हराकर बने थे हिंद केसरी
नई दिल्लीः राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन करने वाले भारत के पहले हिंद केसरी श्रीपति खंचनाले का सोमवार को निधन हो गया। वह नवंबर महीने से बीमार चल रहे थे और कुछ दिनों पहले सिविल अस्पताल में एडमिट हुए थे। कोल्हापुर हेल्थ डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के अनुसार 86 साल के खंचनाले का निधन बुढ़ापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हुआ है।
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श्रीपति खंचनाले ने करतार पंजाबी, खड़क सिंह, सादिक पंजाबी, मंगला राय, टाइगर बच्चन सिंह, नजीर अहमद, मोती पंजाबी, गुलाब कादर जैसे कई पहलवानों को हराया था। कोल्हापुर के विधायक ऋतुराज एस पाटिल ने उनकी तस्वीरों को सोशल मीडिया में पोस्ट कर इसकी पुष्टि की है।
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कर्नाटक के बेलगाम जिले के एकसम्बा के मूल निवासी श्रीपति खंचनाले, महाराष्ट्र और कर्नाटक में काफी फेमस थे। पिता के कहने पर कुश्ती सीखना शुरू करने वाले खंचनाले परिवार संग कई साल से कोल्हापुर में रह रहे थे। 3 मई, 1959 को दिल्ली में पहलवान रुस्तम-ए-पंजाब बटा सिंह को हराकर वह हिंद केसरी बने थे। इसके बाद, उन्होंने कराड़ में एक कुश्ती में अनंत शिरगांवकर को हराकर महाराष्ट्र केसरी का खिताब जीता।
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महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें शिव छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था, जबकि कर्नाटक सरकार ने उन्हें कर्नाटक भूषण पुरस्कार से नवाजा था। श्रीपति खंचनाले अपने पीछे पत्नी शांता, बेटे सत्यजीत, रोहित और पुत्री पूर्णिमा को छोड़ गए हैं।









































































