नई दिल्ली। Wrestling: टोक्यो ओलंपिक सहित देश-दुनिया में भारत के लिए मैडल जीतने वाले रवि दहिया, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट जैसे शीर्ष पहलवानों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (Wrestling Federation of India) ने पहलवानों को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके अनुसार भविष्य में किसी भी निजी संस्था से मदद लेने वाले पहलवानों को रेसलिंग के किसी भी इवेंट में उतरने नहीं दिया जाएगा।
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Wrestling Federation of India (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इस बारे में कहा कि उन्होंने रेसलिंग के हित में यह फैसला लिया है। गौरतलब है कि भारत के पहलवानों का प्रदर्शन ओलंपिक में लगातार अच्छा रहा है। टोक्यो ओलंपिक में भी खिलाड़ियों ने एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज सहित 2 मेडल जीते। इसके बावजूद टोक्यो ओलंपिक समाप्त होने के बाद रेसलिंग फेडरेशन ने विनेश फोगाट सहित तीन खिलाड़ियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा।
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एक मीडिया हाउस से बात करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘हमने खिलाड़ियों के मामले को अनुशासन समिति के पास भेज दिया है। जो विनेश फोगाट, सोनम मलिक और दिव्या काकरान से इस बारे में बात करेगी। यह कहना आसान है कि मैंने गलती की है। लेकिन आपने यह गलती किस वजह से और क्यों की?।’ उन्होंने कहा कि विनेश फोगाट ने अपने वकील के माध्यम से जवाब दिया है कि वे दूसरे पहलवानों की बेहतरी के लिए भारतीय टीम के साथ नहीं रहीं, ताकि वे वायरस से दूर रहें। ठीक है, शायद यह दूसरों की अच्छाई के लिया था। लेकिन उसने फेडरेशन की ड्रेस क्यों नहीं पहनी। उसकी वजह से मुझे क्या झेलना पड़ा और मेरे साथ क्या हुआ। उसे यह जानना होगा।
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खिलाड़ियों को सीधे ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है
खेल मंत्रालय की टॉप पोडियम स्कीम (Tops) को लेकर उन्होंने कहा कि वे खिलाड़ियों को सीधे ट्रेनिंग के लिए विदेश भेज देते हैं। इस बारे में हमें जानकारी नहीं दी जाती। इस कारण परेशानी होती है। फेडरेशन को खिलाड़ियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विनेश फोगाट ने विदेश में ट्रेनिंग के लिए फेडरेशन से सीधे कभी संपर्क नहीं किया। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर खिलाड़ियों को विदेशी में ट्रेनिंग की बात होती है तो सबको भेजते। लेकिन हमें इस बारे में नहीं बताया गया।
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जूनियर पहलवानों की मदद करें निजी संस्थाएं
निजी संस्थाओं पर लगाम कसने के मसले पर Wrestling Federation of India के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि हमें ओजीक्यू और जेएसडब्ल्यू जैसे प्राइवेट पार्टनरों की जरूरत नहीं है। उन्होंने तीन पहलवानों को बर्बाद किया है, मैं उनका नाम नहीं लूंगा। और वैसे भी जब भारत सरकार एथलीटों पर खर्चा करने को तैयार है तो हमें उनकी जरूरत क्यों है? अगर खेलों को प्रमोट ही करना है तो प्राइवेट पार्टनर जूनियर और कैडेट पहलवानों की मदद कर सकते हैं, जिन्हें वास्तव में सहयोग की जरूरत है। वे सरकार के जितना खर्च नहीं कर कर रहे हैं। सरकार की ओर से करीब 85 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।