WFI को अभी नहीं मिलेगा नया अध्यक्ष, हाईकोर्ट ने लगाई चुनाव पर रोक

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गुवाहाटी। WFI के चुनाव पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पहले यह चुनाव 11 जुलाई को होने थे, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है। असम कुश्ती संघ की मांग पर यह रोक लगाई गई है। बुधवार (21 जून) को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति ने भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों को पांच दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया था। पहले यह चुनाव छह जुलाई को होने थे, जिसे तदर्थ समिति ने बदलकर 11 जुलाई कर दिया था, लेकिन अब 11 जुलाई को भी यह चुनाव नहीं होंगे।

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हाईकोर्ट ने क्यों चुनावों पर रोक लगाई?

दरअसल, असम कुश्ती संघ ने WFI, भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की तदर्थ समिति और खेल मंत्रालय के खिलाफ दायर याचिका में कहा कि वे डब्ल्यूएफआई से सदस्य के रूप में मान्यता के हकदार हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के गोंडा में 15 नवंबर 2014 को डब्ल्यूएफआई की आम परिषद को तत्कालीन कार्यकारी समिति की सिफारिश के बावजूद ऐसा नहीं किया गया। तदर्थ समिति ने मतदाता सूची के लिए नाम भेजने की आखिरी तारीख 25 जून तय की है, जबकि नई संचालन संस्था के चयन के लिए चुनाव 11 जुलाई को होने हैं।

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मामले पर अगली सुनवाई 17 जुलाई को

याचिकाकर्ता ने कहा कि जब तक कि उनकी संस्था को WFI से मान्यता नहीं मिलती और वे मतदाता सूची के लिए अपने प्रतिनिधि को नामांकित नहीं कर पाते तब तक चुनाव प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए। अदालत ने प्रतिवादियों डब्ल्यूएफआई की तदर्थ समिति और खेल मंत्रालय को निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक वे डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी समिति के चुनाव की प्रक्रिया पर आगे नहीं बढ़ें। सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई तय की गई है।

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11 जुलाई तक क्यों टाले गए थे चुनाव

इससे पहले पांच असंबद्ध राज्य निकायों ने WFI चुनावों के लिए मतदान के अधिकार की मांग करते हुए सुनवाई में अपना मामला पेश किया था। इस कारण तदर्थ समिति को यह फैसला करना पड़ा था। बुधवार को तीन सदस्यीय समिति से महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में असंबद्ध राज्य निकायों द्वारा संपर्क किया गया था। इस समिति में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमएम कुमार शामिल हैं। समिति ने इन इकाइयों को सुनवाई के लिए बुलाया था।

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शीर्ष पहलवानों ने किया था प्रदर्शन

भारत के शीर्ष पहलवानों ने काफी दिनों तक WFI के चुनाव के लिए और अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों को हटाने के खिलाफ लगातार प्रदर्शन किया। पहलवानों ने बृजभूषण शरण सहित टीम के कुछ कोच पर यौन शोषण का आरोप लगाए थे। देश के शीर्ष पहलवान 138 दिन से बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। 18 जनवरी को पहली बार पहलवान धरने पर बैठे थे और 23 अप्रैल को दूसरी बार धरना शुरू किया। इसके बाद पहलवानों ने मौसम की मार झेली, पुलिस के साथ झड़प हुई। पहलवानों के खिलाफ एफआईआर भी हुई, लेकिन विरोध प्रदर्शन जारी रहा।

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