नई दिल्ली। टोक्यो में Paralympics की ओपनिंग सेरेमनी में भारत के ध्वजवाहक रहे टेकचंद अब भाला नहीं गोला फेंक स्पर्धा में हिस्सा लेंगे। टेकचंद की कैटेगरी के साथ ही इवेंट भी बदल दिया गया है जिसकी वजह से उनके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। 27 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे उनका मुकाबला है। टेकचंद की कैटेगरी एफ 54 थी लेकिन पैरालंपिक कमेटी ने जांच के बाद उनकी कैटेगरी को एफ 55 कर दिया है। एफ-54 कैटेगरी में उनको भाला फेंक में हिस्सा लेना था लेकिन एफ-55 कैटेगरी में अब वह गोला फेंक में हिस्सा लेंगे।
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Paralympics कमेटी ही करती है कैटेगरी की जांच
टोक्यो जाने के पश्चात Paralympics कमेटी की ओर से भी कैटेगरी जांच की जाती है। कमेटी ने जांच के बाद टेकचंद की कैटेगरी एफ 54 की बजाय एफ 55 कर दी है। एफ 55 कैटेगरी में टेकचंद भाला फेंक नहीं बल्कि गोला फेंक में हिस्सा लेंगे। वैसे तो टेकचंद शाटपुट यानी गोला फेंक स्पर्धा में भी पदक हासिल कर चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने इस खेल की प्रैक्टिस ही नहीं की। ऐसे में अचानक से कैटेगरी का बदलना उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है।
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भाला और गोले में काफी अंतर
टेकचंद जिस भाला फेंक स्पर्धा की तैयारी में जुटे थे उसमें उनका खेल काफी निखर चुका था। दिव्यांग टेकचंद के लिए भाला की बजाय गोला फेंकना इसलिए उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है क्योंकि गोले का वजन भाले से काफी ज्यादा होता है। भाले का वजन जहां आधा किलो के लगभग होता है वहीं गोले का वजन चार किलो के लगभग होता है।
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शाटपुट के भी अच्छे खिलाड़ी है टेकचंद
एथलेटिक कोच अनिल यादव ने कहा कि जो भी एथलीट Paralympics में जाते हैं उनकी वहां की कमेटी द्वारा कैटेगरी जांच की जाती है। टेकचंद एफ 54 कैटेगरी में तैयारी कर रहे थे लेकिन लगातार प्रैक्टिस करने से उनकी कुछ मांसपेशियां और शरीर के अंग अधिक एक्टीव हो गए हैं। कमर के नीचे के अंगों के अधिक एक्टीव पाए जाने पर उनकी कैटेगरी को एफ 54 से बढ़ाकर एफ 55 किया गया है। कैटेगरी बदलना कोई नई बात नहीं है। टेकचंद के पूर्व कोच व खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के सहायक निदेशक सतबीर सिंह ने कहा कि टेकचंद को ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि वह शाटपुट के भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। वह इस स्पर्धा में भी मेडल जीतेंगे।