नई दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक (Paralympic) खेलों में राजस्थान के पैरालंपिक खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। इन खेलों में राज्य के तीन खिलाड़ियों ने गोल्ड, सिल्वल और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने के बाद राजस्थान राज्य के वनविभाग की नींद खुल गई और उसे अहसास हुआ है कि उसने तीन पैरालिंपिक मेडलिस्ट को अभी तक सैलरी नहीं दी है। इसके बाद विभाग ने तीनों खिलाड़ियों को पहली सैलरी दी है।
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ऐसे आया मामला सामने
बता दे कि टोक्यो Paralympic में निशानेबाजी में अवनि लेखरा ने गोल्ड, जैवलिन में देवेंद्र झाझरिया ने सिल्वर और सुंदर सिंह गुर्जर ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन तीनों पैरालंपिक पदक विजेताओं को अभी तक उनकी पहली तनख्वाह भी नहीं मिली थी। इन्हें पांच से 10 महीने पहले नौकरी पर रखा गया था लेकिन वेतन अभी तक बकाया था। पिछले बुधवार एक अधिकारी ने कहा था कि उनका बकाया चुका दिया गया है। हालांकि इस बात की सच्चाई तब सामने आई जब झाझरिया और गुर्जर के परिवार वालों ने बताया कि जब से नौकरी मिली है तब से उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है।
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वन विभाग ने यह दी सफाई
बता दें कि अवनि लेखरा को जहां 16 अप्रैल को भर्ती किया गया था वहीं झाझरिया और गुर्जर को वन-विभाग द्वारा क्रमश: 5 नवंबर और एक दिसंबर 2020 को भर्ती किया गया था। वन-विभाग ने दावा किया था कि कागजात पूरे नहीं होने पर उनकी तनख्वाह में देरी हुई। ऐसा इसलिए हुआ कि तीनों राज्य के बाहर रहकर टोक्यो Paralympic खेलों की तैयारी कर रहे थे।
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नियमों को सरल बनाने की जरूरत
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक कर्मचारी को स्थायी रिटायरमेंट नंबर बनवाने और उसे आधार से लिंक करवाने के लिए शारीरिक रूप से मौजूद होना जरूरी है। चूंकि ये लोग राजस्थान में नहीं थे, इसीलिए ऐसा नहीं हो सका। इसके साथ ही इन तीनों ने आधिकारिक रूप से राज्य सचिवालय में नौकरी जॉइन की थी न कि अरण्य भवन में।’ दीप नारायण पांडे, जिन्हें हाल ही में फॉरेस्ट फोर्स का मुखिया नियुक्त किया गया है, ने मामला सामने आने के बाद कहा कि सैलरी देने के लिए नियमों को आसान बनाने की जरूरत है।