नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीतकर वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने भारत का मान बढ़ाया है। मणिपुर के इम्फाल में एक छोटे से गांव में 8 अगस्त 1994 को जन्मी मीराबाई चानू ने विश्व के मानचित्र पर एक अलग पहचान बनाई है। वह Tokyo 2020 में पदक जीतने वाली पहली जबकि ओलंपिक के इतिहास में वेटलिफ्टिंग में मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गई हैं। साथ ही नारी शक्ति को एक अलग पहचान दिलाई है।
Tokyo Olympics : भारतीय नौकायन खिलाड़ी रेपचेज दौर में
तभी से वेटलिफ्टर बनने की लगी लगन
Mirabai Chanu जब छोटी थीं तब वो और उनके भाई जंगलों से लकड़ियां लाया करते थे। मीराबाई भारी से भारी लकड़ियों के बंडल को आसानी से उठा लेती थीं जबकि उनके भाई ऐसा नहीं कर पाते थे। जब वो 12 साल की थीं तब इम्फाल की वेटलिफ्टर कुंजरानी को प्रेरणा मानकर ही चानू को भी वेटलिफ्टिंग में दिलचस्पी हुई थी। इसके बाद उनके परिवार ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
Tokyo Olympics Live: वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने जीता सिल्वर मेडल, रचा इतिहास
जिससे ली प्रेरणा उसी को दी मात
Mirabai Chanu ने साल 2014 में हुए ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। इस कैटेगरी का गोल्ड भी भारत के खाते में ही आया था। 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स के क्वालीफाई मैच में मीराबाई चानू ने उनकी आदर्श वेटलिफ्टर कुंजरानी को हराकर रियो ओलंपिक गेम्स में अपनी जगह बनाई।
Tokyo Olymipcs : पहला गोल्ड मैडल चीन के नाम, शूटिंग और जूडो में भारत को झटका
एक से बढ़कर एक उपलब्धि की हासिल
Tokyo Olympics में रजत पदक जीतने से पहले Mirabai Chanu ने साल 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा उन्होंने 2020 एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था तो वहीं कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में सिल्वर और 2018 में गोल्ड मेडल अपने नाम किए थे। उनकी शानदार उपलब्धियों की वजह से उन्हें साल 2018 में सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वो पद्मश्री से भी सम्मानित की जा चुकी हैं।