नई दिल्ली। ओलंपिक गोल्ड मैडलिस्ट और भारत के ’गोल्डन ब्वॉय’ नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। जेवलिन थ्रोअर नीरज ने अमेरिका में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता है। इसके साथ ही वह विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए हैं। उनसे पहले महिलाओं में दिग्गज एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था। नीरज ने चौथे राउंड में 88.13 मीटर दूर भाला फेंकर रजत अपने नाम किया। ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने दूसरे राउंड में 90.46 दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
A great accomplishment by one of our most distinguished athletes!
Congratulations to @Neeraj_chopra1 on winning a historic Silver medal at the #WorldChampionships. This is a special moment for Indian sports. Best wishes to Neeraj for his upcoming endeavours. https://t.co/odm49Nw6Bx
— Narendra Modi (@narendramodi) July 24, 2022
इस जीत के साथ ही नीरज को बधाईयों का तांता लग गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीरज को इस शानदार सफलता पर बधाई दी है। पीएम मोदी ने लिखा “हमारे सबसे खास एथलीट में से एक के द्वारा शानदार उपलब्धि। विश्व चैंपियनशिप में एतिहासिक रजत पदक जीतने पर नीरज चोपड़ा को बधाई। भारतीय खेलों के लिए यह पल खास है। आने वाली प्रतियोगिताओं के लिए नीरज को शुभकामनाएं।”
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टोक्यो ओलंपिक के बाद इस एक और तमगे ने नीरज को भारत के सर्वकालिक महान एथलीट्स की सूची में अग्रिम पायदान पर पहुंचा दिया है। लेकिन उनकी यह सफलता इतनी आसानी से भी नहीं आई है। इसके लिए उनके साथ ही उनके परिवार का भी त्याग शामिल है। नीरज संयुक्त परिवार में रहते हैं। उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल हैं। एक ही छत के नीचे रहने वाले 19 सदस्यीय परिवार में चचेरे 10 भाई-बहनों में नीरज सबसे बड़े हैं। आइए नीरज के गोल्डन ब्वॉय बनने की कहानी के बारे में…
Check out the throw that won @Neeraj_chopra1 his historic Silver 🥈 at @WorldAthletics C’ships
Our Champ just nows when its a good throw 😁😇 and the Roar🔥#WCHOregon22 #IndianAthletics @PMOIndia @ianuragthakur @NisithPramanik @afiindia @SAI_Patiala @Adille1 pic.twitter.com/6Y5oSq534z
— SAI Media (@Media_SAI) July 24, 2022
पापा-चाचा ने सात हजार जोड़कर दिलाया भाला
नीरज ने जब जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) में हिस्सा लेना शुरू किया तो परिवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, उन्हें जेवलिन दिलाने की। नीरज और उनका परिवार जानता था कि बिना बेहतर उपकरणों के इस खेल में आगे बढ़ना संभव नहीं है। लेकिन परिवार अपनी आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें करीब 1.5 लाख रूपए की कीमत का जेवलिन दिलाने में भी सक्षम नहीं था। ऐसे में नीरज के पिता और चाचा ने मिलकर करीब 7 हजार रूपए जोड़े और नीरज को अभ्यास के लायक एक जेवलिन लाकर दिया।
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जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाकर चमकाया नाम
नीरज ने भी अपना करियर एक सामान्य एथलीट की तरह शुरू किया लेकिन 2016 में हुई जूनियर विश्व चैंपियनशिप ने नीरज को सभी के आकर्षण का केंद्र बना दिया। नीरज ने इस इवेंट में 86.48 मीटर की दूरी तक जेवलिन फेंककर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस सफलता के बाद नीरज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक ऐसा भी दौर था जबकि नीरज के पास कोई कोच नहीं था लेकिन उन्होंने यूट्यूब चैनल से विशेषज्ञों की टिप्स पर अमल करते हुए अभ्यास जारी रखा और अपनी कई कमियों को दूर किया।
सेना से जुड़े तो आर्थिक समस्याएं हुईं समाप्त
2017 में सेना से जुड़ने के साथ ही नीरज की आर्थिक परेशानियां भी समाप्त हो गईं। नीरज ने खुद कहा था, हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है। परिवार बमुश्किल मेरा साथ देता आ रहा है। लेकिन सेना से जुड़ने के बाद अब राहत है कि प्रशिक्षण जारी रखने के साथ परिवार की आर्थिक मदद करने में सक्षम हूं।
वजन कम करने के लिए थामा भाला
जेवलिन थ्रो से नीरज का जुड़ाव दिलचस्प तरीके से हुआ था। संयुक्त परिवार में रहने वाले नीरज बचपन में काफी मोटे थे और परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए उन्होंने खेलना शुरू किया। उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने और उनका वजन कम करने के लिए कुछ करना चाहते थे। इस पर नीरज के चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गए। वहां नीरज ने दौड़ने की जगह जेवलिन को चुना। उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गए।