वसीम जाफर ने BCCI से किया अनुरोध
नई दिल्ली। कई वर्षों बाद पहली बार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल (BCCI) बोर्ड रणजी ट्रॉफी का आयोजन नहीं करेगा। क्रिकेट से जुड़े कई लोगों का कहना है कि रणजी ट्रॉफी को हटाने की वजह से क्रिकेट पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। वहीं BCCI ने राज्य संघों को पहले ही सूचना दे दी थी कि वर्तमान परिस्थिति में विजय हजारे ट्रॉफी (एकदिवसीय प्रारूप) का आयोजन होगा।
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क्रिकेटरों को नहीं हो आर्थिक नुकसान
इस मामले में भारत के पूर्व बल्लेबाज और घरेलू क्रिकेट के दिग्गज वसीम जाफर का मानना है कि BCCI के लिए यह जरूरी है कि वह क्रिकेटरों के लिए मुआवजे का पैकेज तैयार करे, ताकि यह उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान नहीं हो। जाफर ने कहा कि “मैं समझता हूं कि 38 टीमों के साथ यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है। टूर्नामेंट में कई खिलाड़ियों की सुविधा है, लेकिन जोखिम कारक है। एक खिलाड़ी और कोच के रूप में, मैं अभी भी रणजी ट्रॉफी चाहता हूं।”
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केवल क्रिकेट पर निर्भर खिलाड़ियों के लिए मुश्किल
जाफर ने कहा कि यह खुशी की बात है कि कम से कम सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी का आयोजन किया जा रहा है। उत्तराखंड की टीम के मुख्य कोच वसीम जाफर ने कहा कि, “अगर आप आर्थिक दृष्टि से बात करे तो एक खिलाड़ी को रणजी ट्रॉफी खेलने पर अधिक भुगतान किया जाता है। ऐसे में यदि कोई ऐसा व्यक्ति जिसके पास नौकरी नहीं है और वह क्रिकेट पर निर्भर है, तो उसके लिए यह समय अधिक मुश्किल वाला होगा।”
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BCCI ने पहले दिए थे मुआवजे के संकेत
उन्होने कहा कि पिछले साल दिसंबर में हुई वार्षिक आम सभा में, BCCI ने संकेत दिया था कि वह रणजी ट्रॉफी या विजय हजारे ट्रॉफी नहीं होने की स्थिति में खिलाड़ियों के लिए मुआवजे का पैकेज तैयार करेगा। इसी को लेकर वसीम जाफर ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि ऐसा होता है। आजकल भी बहुत से क्रिकेटरों को नौकरी नहीं मिलती है। वे युवा क्रिकेट खिलाड़ी हैं और उनका परिवार उन पर निर्भर है। विजय हजारे ट्रॉफी में एक खिलाड़ी को एक मैच के लिए केवल 35-40 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है, जो पूरे सीजन के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। ऐसे में BCCI उन्हें मुआवजा दे तो फिर परेशानी नहीं होगी।”