नई दिल्ली। टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) खेलों में भारत की ओर से देवेंद्र झाझरिया को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। वहीं देवेंद्र भी अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए पैरालंपिक खेलों में अपना तीसरा गोल्ड मेडल जीतना चाहते है। क्योंकि देवेंद्र झाझरिया को पैरालंपिक चैंपियन बनाने में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ रहा है। देवेंद्र को याद है जब वह 2004 के एथेंस पैरालंपिक में खेलने जा रहे थे तो उन्हें विदाई देने वाले अकेले उनके पिता राम सिंह थे। उस समय उनके पिता ने देवेंद्र से कहा था यहां से अकेले जा रहे हो लेकिन वहां पदक जीता तो दुनिया पीछे होगी।
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तीसरा Paralympics गोल्ड के लिए जी-जान लगा दूंगा
दो बार के Paralympics चैंपियन देवेंद्र का कहना है कि वह अपने पिता के लिए टोक्यो में तीसरा पैरालंपिक स्वर्ण जीतने के लिए जी-जान लगा देंगे। देवेंद्र के अनुसार पिछले साल अक्टूबर 2020 में कैंसर से जूझ रहे उनके पिता ने उन्हें जबरन इस पदक के लिए गांधीनगर भेज दिया था। कुछ दिन बाद उनका स्वर्गवास हो गया और देवेंद्र उनसे अंतिम क्षणों में बात भी नहीं कर सके।
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पिता ने हमेशा हौसला बढ़ाया
पिछले साल अक्टूबर माह में उनके पिता को फेफड़ों का कैंसर निकला। उन्होंने इलाज के लिए काफी जगह दिखाया भी लेकिन सभी जगह जवाब दे दिया गया। वह पिता के साथ थे उनकी सेवा कर रहे थे। एक दिन पिता ने कहा कि तुम्हारे दो छोटे भाई यहां हैं। दोनों उन्हें संभाल लेंगे, लेकिन तुम यहां रुकोगे तो तुम्हारी तैयारियां प्रभावित होंगी। तुम्हें देश के लिए तीसरा पैरालंपिक स्वर्ण जीतना है जाओ गांधीनगर में तैयारियां करो। इसके बाद देवेंद्र जयपुर से गांधीनगर आ गए, लेकिन 23 अक्टूबर को फोन आया कि पिता की हालत नाजुक है। वह तुरंत वहां से भागे, लेकिन जब तक पहुंचे तब तक पिता जा चुके थे। देवेंद्र के अनुसार यह उनके पिता थे जिन्होंने उन्हें जीवन में कभी निराश नहीं होने दिया। वह हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया करते थे।
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रियो के भाले को टोक्यो में लेंगे काम
2004 और 2016 Paralympics में विश्व कीर्तिमान के साथ भाला फेंक का गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र इस बार भी विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण जीतने की तैयारी में हैं। देवेंद्र के अनुसार वे उसी भाले का टोक्यो में प्रयोग करेंगे जिसका उन्होंने रियो पैरालंपिक में किया था।