नई दिल्ली। हरियाणा के नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में एथलेटिक्स में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एथलीट बन गए हैं। उन्होंने फाइनल में 87.58 मीटर जेवलिन थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता। यह उनका पहला ही ओलंपिक है। इससे पहले वे पूल A के क्वालिफिकेशन में 86.65 मीटर थ्रो कर पहले स्थान पर थे। उनका पर्सनल बेस्ट थ्रो (88.07 मीटर) है।
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ऐसे हुआ जेवलिन से लगाव
जेवलिन थ्रो के फाइनल में गोल्ड जीतने वाले Neeraj Chopra का जन्म हरियाणा के पानीपत जिले के खंद्रा गांव में 24 दिसंबर, 1997 को हुआ था। वे बचपन में कबड्डी और वॉलीबाल खेलते थे। नीरज शुरुआत में शारीरिक रूप से ज्यादा फिट नहीं थे, इसलिए जिम जाते थे। जिम के पास ही स्टेडियम था, तो कई बार वे वहां टहलने के लिए चले जाते थे। एक बार स्टेडियम में कुछ बच्चे जेवलिन कर रहे थे। नीरज वहां जाकर खड़े हो गए, तभी कोच ने उनसे कहा कि आओ जेवलिन फेंको। नीरज ने जेवलिन फेंका, तो वह काफी ज्यादा दूर जाकर गिरा। इसके बाद कोच ने उन्हें नियमित रूप से प्रशिक्षण में आने के लिए कहा। कुछ दिनों तक नीरज ने पानीपत स्टेडियम में ट्रेनिंग की, फिर पंचकूला में चले गए और वहां ट्रेनिंग करने लगे।
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गरीब किसान परिवार ने बनाया नीरज को चैंपियन
Neeraj Chopra ने भाला तो उठा लिया लेकिन एक किसान परिवार होने की वजह से आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। क्योंकि नीरज चोपड़ा संयुक्त परिवार में रहते थे। 17 सदस्यों के परिवार का खर्च चलाना मुश्किल था। ऐसे में नीरज चोपड़ा को अच्छा भाला कहां से मिलता। वह अपने सस्ते से भाले से ही बलंद हौसले के साथ भाला फेंकने की प्रैक्टिस शुरू की और वो घंटों इसका अभ्यास कर किया। तब जाकर व जेवलियन में प्रवीण हो पाए।
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वर्ल्ड रिकॉर्ड के बावजूद रियो नहीं जा पाए थे
Neeraj Chopra ने 2016 में जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था, इसके बावजूद वे रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर सके थे। नीरज ने यह रिकॉर्ड 23 जुलाई को बनाया था, जबकि रियो के लिए क्वालिफाई की आखिरी तारीख 23 जुलाई थी। वर्ल्ड रिकॉर्ड के बाद सेना ने नीरज को जूनियर कमीशंड ऑफिसर की पोस्ट देते हुए नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2018 एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।