नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत ने 7 पदक जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। टोक्यो ओलंपिक भारत का सबसे सफल ओलंपिक बन गया है। 2012 लंदन ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 6 पदक जीते थे। इस बार भारत का सबसे सफल ओलंपिक बनने के पीछे विदेशी कोच की खास भूमिका मानी जा रही है। भारत के 6 मेडलिस्ट के कोच विदेशी थे। सिर्फ मीराबाई चानू के कोच विजय शर्मा भारत से थे। जानिए आखिर ये विदेश कोच कौन-कौन से है, जिन्होंने यह कमाल किया है।
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कोच ने मीराबाई चानू की फिटनेस का भी रखा ध्यान
Tokyo Olympics में 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग में भारत को सिल्वर पदक दिलाने वाली मीराबाई चानू की जीत में भारतीय वेटलिफ्टिंग के हेड कोच विजय शर्मा की खास भूमिका रही है। उन्होंने मीरा की विदेश में ट्रेनिंग के साथ-साथ उनकी फिटनेस का भी ख्याल रखा। विजय की ही ट्रेनिंग में मीराबाई ओलंपिक से पहले अमेरिका गई थीं। विजय खुद एक प्लेयर रह चुके हैं। हालांकि उनका करियर चोट की वजह से खत्म हो गया था।
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कोच पार्क ताए संग की सिंधु की जीत में खास भूमिका
भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु के Tokyo Olympics ब्रॉन्ज मेडल जीतने में उनके साउथ कोरियन कोच पार्क ताए संग का विशेष योगदान रहा है। 2019 में सिंधु के कोच बने संग ने सिंधु के वर्क एथिक्स पर काम करना शुरू किया। उनके ट्रेनिंग शेड्यूल से लेकर खाने-पीने तक सबका ध्यान रखना शुरू किया। संग ने सिंधु के मोशन स्किल्स, बैक हैंड और डिफेंस पर काम करना शुरू किया। टोक्यो ओलंपिक में इसका असर दिखा और सिंधु ने अटैकिंग खेल के जरिए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। संग खुद एशियन गेम्स के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रह चुके हैं।
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कोच रीड पुरुष हॉकी टीम में लाए सकारात्मक सोच
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद हॉकी में मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। इस जीत में कोच ग्राहम रीड का भी खास योगदान रहा है। उन्होंने 2019 में टीम इंडिया की कोचिंग संभाली थी। रीड ने टीम का माइंडसेट चेंज किया। पिछले 2 साल में परफॉर्मेंस इतना सुधरा है कि रैंकिंग में टीम इंडिया वर्ल्ड नंबर-4 बन गई। रीड ने टीम की सोच में सकारात्मकता लाए और सही समय पर परफेक्ट डिसिजन लिए। मनप्रीत सिंह को कैप्टन बनाने से लेकर 2 सीनियर टीम मेंबर्स हरमनप्रीत सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा को उप-कप्तान बनाने का फैसला भी उन्हीं का था। टीम ने Tokyo Olympics में शानदार प्रदर्शन किया और पूर्व चैंपियन अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन को हराया। टीम इंडिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
राफेल बर्गमास्को ने सिखाया अटैकिंग खेल
लवलिना बोरगोहेन ने Tokyo Olympics में बॉक्सिंग में भारत के लिए एकमात्र मेडल जीता है। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट अटैकिंग खेल दिखाया और अपने सामने वाली खिलाड़ी को टिकने नहीं दिया। उनके ट्रांसफॉर्मेशन में सबसे बड़ी भूमिका बॉक्सिंग के हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर राफेल बर्गमास्को का रहा। सेमीफाइनल तक लवलिना ने अपने चुस्त फिट मूवमेंट और हुक से विपक्षी खिलाड़ियों को खूब परेशान किया था। हालांकि सेमीफाइनल में उन्हें वर्ल्ड नंबर-1 के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा।
दहिया की जीत में मलिकोव का रोल
मलिकोव को सुशील कुमार के Tokyo Olympics क्वालिफिकेशन के लिए ट्रेनर के तौर पर लाया गया था, लेकिन सुशील क्वालिफाई नहीं कर सके। इसके बाद मलिकोव को इसी साल अप्रैल में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के तहत रवि दहिया के ट्रेनर के तौर पर नियुक्त किया गया। मलिकोव और रवि ने पोलैंड ओपन में पहली बार एकसाथ काम किया लेकिन रवि फाइनल में हार गए। इसके बाद मलिकोव ने रवि को और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। ओलंपिक में रवि का परफॉर्मेंस बेजोड़ रहा और सेमीफाइनल में पॉइंट्स से पिछड़ने के बाद आखिरी कुछ सेकंड में अपने विपक्षी को चित कर दिया। फाइनल में वे रवि हार गए पर अपने देश के लिए रजत पदक जीता।
आखिर शाको बेंटिनिडिस की मेहनत रंग लाई
कोच शाको बेंटिनिडिस, बजरंग पूनिया के साथ-साथ विनेश फोगाट के भी प्रशिक्षक रहे। विनेश तो पहले मुकाबले में हार गईं, लेकिन बजरंग देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल हुए। बेंटिनिडिस की ही कोचिंग में बजरंग वर्ल्ड रेसलिंग में स्टार बनकर उभरे। बेंटिनिडिस की कोचिंग में बजरंग ने 2018 में वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनिशप में सिल्वर, 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड और 2019 में नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में बजरंग ने सिल्वर मेडल जीता था
कोच ने किया प्रेरित तो नीरज लाए गोल्ड
नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वे एथलेटिक्स में भारत के लिए मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए है। इसके पीछे उनके पूर्व जर्मन कोच उवे होन और मौजूदा कोच क्लाउड की खास भूमिका रही। क्लाउड ने नीरज को 2019 से ट्रेनिंग देनी शुरू की। इस दौरान उन्होंने अच्छा करने के लिए प्रेरित किया। यह क्लाउड का ही प्लान था कि नीरज ने पहले 2 थ्रो में ही अपना मेडल तय कर लिया।













































































