नई दिल्ली। स्टार महिला पैडलर (Table Tennis Player) मनिका बत्रा (Manika Batra) और भारतीय टेबल टेनिस संघ के बीच का विवाद इन दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है। मनिका को नेशनल कैंप में भाग नहीं लेने के कारण एशियाई टेबल टेनिस चैम्पियनशिप के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
Junior Hockey World Cup की मेजबानी करेगा भारत का ये स्टेडियम
Manika Batra की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा था। इसके जवाब में आज केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अपना पक्ष रखा। इसमें कहा गया, ‘उम्मीदवारों के चयन के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होना चाहिए और इससे किसी शिविर में भाग लेने/भाग नहीं लेने से कोई संबंध नहीं है, भारत अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को आगे भेजने से नहीं रोकेगा।’
IPL2021: KKR के खिलाफ ऐसी हो सकती है मुंबई इंडियंस की प्लेइंग इलेवन
केंद्र के जवाब के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस संघ के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें उसने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चुने जाने के लिए नेशनल कैंप में भाग लेना अनिवार्य किया था।
गौरतलब है कि Manika Batra के वकील सचिन दत्ता ने याचिका में कहा है कि सारे मानदंड़ों पर खरी उतरने के बावजूद सिर्फ नेशनल में भाग नहीं लेने के कारण बत्रा को दोहा में सितंबर-अक्टूबर में होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में खेलने का मौका नहीं दिया जा रहा। उन्होंने अदालत से इस नियम पर रोक लगाने की मांग की, ताकि वह नवंबर में एक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले सकें। उन्होंने कहा, ‘नवंबर में एक और टूर्नामेंट है। इस नियम पर रोक लगनी चाहिए। इससे उसका कैरियर खत्म हो जाएगा।’
T20 World Cup से बाहर होगा अफगानिस्तान !!
याचिका में एक और आरोप लगाया गया कि नेशनल कोच सौम्यदीप रॉय ने बत्रा पर एक मैच गंवाने का दबाव बनाया था, ताकि उनकी निजी प्रशिक्षु ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर सके। Manika Batra ने महासंघ के प्रबंधन की जांच का निर्देश भी खेल मंत्रालय को देने की मांग की है।