नई दिल्ली। Commonwealth Games: भारतीय खेल जगत में कबड्डी को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाने की मुहिम तेज हो गई है। दिल्ली में आयोजित भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग में 2030 में भारत में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में कबड्डी को आधिकारिक रूप से शामिल करने की मांग रखी गई। यह प्रस्ताव राजस्थान ओलंपिक संघ के अध्यक्ष तेजस्वी सिंह गहलोत ने रखा, जिनके साथ भारतीय कबड्डी संघ के अध्यक्ष विभोर विनीत जैन और उपाध्यक्ष विजयारानी भी बैठक में मौजूद रहे।
Ball Badminton : 7वीं सब जूनियर स्टेट लेवल बॉल बैडमिंटन चैंपियनशिप के लिए जयपुर टीम की घोषणा
कबड्डी भारत की संस्कृति, परंपरा और मिट्टी से जुड़ा खेल: गहलोत
RCA विवाद में अशोक गहलोत की एंट्री, सरकार पर निशाना-वैभव की तारीफ, बिहाणी का पलटवार
गहलोत ने कहा कि कबड्डी भारत की संस्कृति, परंपरा और मिट्टी से जुड़ा खेल है, जिसे कॉमनवेल्थ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान मिलना चाहिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2030 के आयोजन से पहले भारत में Commonwealth Games देशों का कबड्डी का आयोजन किया जाए, ताकि खिलाडिय़ों को तैयारी और अनुभव का बेहतर अवसर मिल सके और जनता में खेल के प्रति उत्साह और जागरूकता बढ़े। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि कबड्डी को 2036 ओलंपिक में शामिल करने के लिए भारत को संगठित और रणनीतिक प्रयास करने चाहिए।
कबड्डी को नई पहचान दिलवाने का समय
गहलोत ने कहा कि यह खेल केवल भारत का नहीं, बल्कि अब पूरी दुनिया का बनने की क्षमता रखता है। राष्ट्रीय स्तर का आयोजन खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खेलने के लिए तैयार करेगा और खेल की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। तेजस्वी सिंह ने कहा कि यदि Commonwealth Games में कबड्डी को स्थान मिलता है, तो यह न केवल ग्रामीण भारत से लेकर शहरी युवाओं तक खेल की पहुंच को बढ़ाएगा, बल्कि भारत की पारंपरिक खेल संस्कृति को वैश्विक पहचान भी देगा।