नई दिल्ली। भारत के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले के आदिवासी परिवार से संबंध रखने वाली झिल्ली दलबेहरा ने 26 साल बाद एशियाई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप (Asian Weightlifting Championships) में देश को गोल्ड मेडल दिलाया है। झिल्ली ने ताशकंद में 45 किलो में कुल 157 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया है। हालांकि 2019 की एशियाई चैंपियनशिप में झिल्ली ने 162 किलो वजन उठाया था। तब उन्होंने यहां सिल्वर मेडल जीता था।
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ये खिलाड़ी भी जीत चुकी है गोल्ड मेडल
झिल्ली दलबेहरा से पहले एशियाई चैंपियनशिप में सोना जीतने का कमाल क़र्णम मल्लेश्वरी और कुंजारानी देवी ने 1995 में एक साथ किया था। तब से अब तक इस चैंपियनशिप में कोई गोल्ड मेडल नहीं जीत पाया। हालांकि 45 किलो ओलंपिक में शामिल नहीं है। कोच विजय शर्मा का कहना है कि कंपटीशन नहीं होने के कारण झिल्ली से ज्यादा जोर नहीं लगवाया। उन्होंने स्नैच में 69 और क्लीन एंड जर्क में 88 किलो वजन उठाया। फिलीपींस की मैरी फ्लोर डियाज ने 135 किलो वजन उठाकर सिल्वर मेडल हासिल किया।
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आखिर जो सोचा था वहीं कर दिखाया मीरा ने
विश्व रिकॉर्ड बनाकर मीराबाई चानू जितनी खुशी महसूस कर रही हैं उससे कहीं ज्यादा राहत उन्हें पहली दो लिफ्ट फेल होने के बाद स्नैच की तीसरी लिफ्ट उठाने पर मिली थी। उस दौरान कोच, फेडरेशन के पदाधिकारी, साथी लिफ्टर सभी की सांसें थमी थीं। यह ठीक रियो ओलंपिक जैसी स्थिति थी। वहां मीरा क्लीन एंड जर्क में वॉश आउट हो गई थीं और एक पदक देश के हाथ से निकल गया था। मीरा जानती थीं, इस बार ऐसा हुआ तो सब की अंगुलियां उनकी ओर खड़ी हो जाएंगी। उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े रहे फेडरेशन, साई, मंत्रालय सब की गर्दन झुकेगी। यहीं मीरा ने अपने से कहा कि नहीं वह इस बार नहीं बिखरेंगी। उन्होंने प्रण लिया कि वह यह वजन हर हाल में उठएंगी और ऐसा ही किया।