नई दिल्ली। Hockey World Cup 2023: भारत में 2023 में होने वाले हॉकी विश्व कप का आयोजन खटाई में पड़ सकता है। विश्व हॉकी की शीर्ष संस्था एफआईएच ने भारत से मेजबानी छीनने की चेतावनी दी है। एफआईएच का कहना है कि अगर भारत को यह आयोजन करवाना है तो उसे नए संविधान को अपनाते हुए शीघ्रता से हॉकी महासंघ के चुनाव भी करवाने होंगे।
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एफआईएच ने प्रशासकों की समिति (सीओए) को पत्र लिखकर इस संबंध में चेताया है और चुनाव की समय सीमा निर्धारित करवाने को कहा है। प्रशासकों की समिति सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई है। एफआईएच के लिखे पत्र में कहा गया है कि नए संविधान का मसौदा तैयार करें और चुनाव कराएं। अगर संविधान को अपनाने और चुनाव कराने में देरी होती है तो अगले साल भुवनेश्वर और राउरकेला में होने वाले हॉकी विश्व कप (Hockey World Cup 2023) की मेजबानी खतरे में पड़ सकती है।
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एफआईएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थियरी वील ने भारतीय हॉकी की शीर्ष संस्था हॉकी इंडिया को पत्र लिखकर कहा है कि हॉकी इंडिया में नए संविधान को जल्द अपनाया जाए और चुनाव की समय सीमा भी तय की जाए। तभी भारत में पुरुष हॉकी विश्व कप (Hockey World Cup 2023) का आयोजन हो सकता है। वील ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि प्रशासकों की समीति (सीओए) उस पत्र का जवाब नहीं दे रही है, जो एफआईएच ने उसे 17 जुलाई को भेजा था। इस पत्र में भी इन मामलों पर जवाब मांगा गया था।
बुधवार को वील ने पत्र लिखकर कहा “हम फिर से दोहरा रहे हैं कि चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए। ताकि हॉकी इंडिया के नवनिर्वाचित कार्यकारी बोर्ड को हॉकी विश्व कप के आयोजन की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।“
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क्यों बनी सीओए?
दरअसल, भारतीय हॉकी में खेल सहिंता के उल्लंघन के खुलासे के बाद शीर्ष अदालत ने सीओए का गठन किया था। असलम शेर खान ने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को हॉकी इंडिया का आजीवन सदस्य नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी। इसके बाद अदालत ने कहा कि बत्रा को आजीवन सदस्य और एलेना नॉर्मन को सीईओ नियुक्त करना अवैध था। बेंच ने ही कहा था कि भारत सरकार ऐसे राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता नहीं दे सकती, जिसका संविधान स्पोर्ट्स कोड के अंतर्गत नहीं हो। राष्ट्रीय खेल महासंघ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य और प्रबंधन समिति में सीईओ का पद के पद अवैध हैं। इन पद को हटाया जाता है।