नई दिल्ली। BCCI : बीसीसीआई (BCCI) ने घरेलू क्रिकेट के खेल नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। आगामी सीजन से गंभीर चोट के मामलों में टीमों को रिप्लेसमेंट की अनुमति मिलेगी। खासतौर पर ये नियम मल्टी डे मैचों (एक से अधिक दिन चलने वाले मुकाबलों) पर लागू होगा।
अब अगर किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान गंभीर चोट लगती है और वह आगे खेलने की स्थिति में नहीं होता, तो टीम को उसकी जगह एक नया खिलाड़ी उतारने की इजाजत दी जाएगी। हालांकि, यह चोट खेल के दौरान और मैदान पर ही लगी होनी चाहिए।
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पंत और वोक्स की चोटों के बाद लिया गया फैसला
हाल ही में इंग्लैंड में आयोजित एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज के दौरान भारत के ऋषभ पंत और इंग्लैंड के क्रिस वोक्स को गंभीर चोटें लगी थीं। दोनों खिलाड़ी सीरीज के अंतिम टेस्ट मैचों में नहीं खेल पाए थे। अब तक नियम यह था कि केवल सिर की चोट (कनकशन) पर ही रिप्लेसमेंट की अनुमति होती थी। लेकिन इन घटनाओं के बाद BCCI ने गैर-कनकशन चोटों पर भी रिप्लेसमेंट की सुविधा देने का निर्णय लिया है।
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खिलाड़ियों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
नए नियम को लेकर खिलाड़ियों की राय बंटी हुई है। इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने इस बदलाव को लेकर नाखुशी जताते हुए इसे “मजाक” करार दिया। वहीं भारत के पूर्व खिलाड़ी और सांसद गौतम गंभीर ने इस फैसले का समर्थन किया और इसे खिलाड़ियों की सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
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नए नियम के तहत चोटिल खिलाड़ी को रिप्लेसमेंट मिल सकेगा – जानिए विस्तार से
अब यदि किसी खिलाड़ी को मैदान पर खेल के दौरान चोट लगती है — जैसे कि गेंद लगने, फ्रैक्चर होने या हड्डी खिसकने (डिस्लोकेशन) जैसी गंभीर स्थिति में — और वह मैच में आगे भाग लेने में असमर्थ होता है, तो उसकी जगह एक रिप्लेसमेंट खिलाड़ी दिया जा सकेगा।
इस प्रक्रिया में:
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ऑन-फील्ड अंपायर खिलाड़ी की चोट का मूल्यांकन करेंगे और रिप्लेसमेंट की अनुमति देंगे। जरूरत पड़ने पर वे मैच रेफरी और टीम डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
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टीम मैनेजर को एक फॉर्म भरकर मैच रेफरी को सौंपना होगा, जिसमें:
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चोटिल खिलाड़ी का नाम,
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चोट कब और कैसे लगी,
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यह पुष्टि कि खिलाड़ी मैच में आगे भाग नहीं ले सकता,
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और रिप्लेसमेंट खिलाड़ी का नाम शामिल होगा। यह रिप्लेसमेंट खिलाड़ी उसी भूमिका वाला (लाइक-फॉर-लाइक) होना चाहिए।
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रिप्लेसमेंट केवल उन्हीं खिलाड़ियों में से चुना जा सकता है जिन्हें टॉस के समय बतौर सब्स्टीट्यूट नामित किया गया था।
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विशेष स्थिति: अगर सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों में कोई विकेटकीपर नहीं है और विकेटकीपर को गंभीर चोट लगती है, तो टीम को बाहर से कीपर बुलाने की अनुमति मिल सकती है।
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रिप्लेसमेंट की अनुमति तभी दी जाएगी जब मैच रेफरी को यह यकीन हो कि नया खिलाड़ी टीम को अनुचित लाभ नहीं देगा।
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मैच रेफरी का फैसला अंतिम होगा, किसी भी टीम को अपील का अधिकार नहीं होगा।
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रिप्लेसमेंट खिलाड़ी पर भी वही पेनल्टी, चेतावनी या टाइम नियम लागू होंगे जो चोटिल खिलाड़ी पर प्रभावी थे।
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एक बार रिप्लेसमेंट स्वीकार हो गया तो चोटिल खिलाड़ी दोबारा मैच में नहीं लौट सकेगा।
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दोनों खिलाड़ी — चोटिल और रिप्लेसमेंट — मैच रिकॉर्ड और आंकड़ों में “मैच खेले” माने जाएंगे।