Advertisement

बास्केटबाॅल (Basketball) एक टीम खेल है। जिसमें 5-5 खिलाड़ियों की टीमें बाॅल को एक दूसरे की बास्केट (रिंग) में डालकर स्कोर करने की कोशिश करती हैं। खेल का कोर्ट आयताकार होता है तथा बाॅल को रिंग में डालने पर अलग-अलग अंक प्रदान किए जाते हैं। खिलाड़ी ने किस स्थान से बाॅल को रिंग में डाला है, इसके आधार पर अंक तय किए जाते हैं। खेल के अंत में सर्वाधिक अंक हांसिल करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है। पूरे गेम को 10-10 मिनट के 4 भागों में बांटा जाता है। पूरे मैच की अवधि कुल 40 मिनट होती है।

खिलाड़ियों की संख्या– प्रत्येक Basketball टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं, लेकिन 05 खिलाड़ियों को खेल के दौरान कोर्ट पर खेलने की अनुमति होती है।

कोर्ट का साइज– कोर्ट का वास्तविक माप 28×15 मी0 (91.9×49.2 फीट) होता है।

Virat Kohli के इंस्टाग्राम पर 100 मिलियन फॉलोअर्स

Basketball के सामान्य नियम-

  • एक टीम में अधिकतम 12 खिलाड़ी होते हैं। लेकिन उनमें से सिर्फ 5 खिलाड़ी ही कोर्ट पर मैच खेल सकते हैं। हालांकि बाकी खिलाड़ियों को सब्सटीट्यूट के तौर पर खेलने का मौका मिल सकता है।
  • बॉल को ड्रिब्लिंग अथवा पासिंग द्वारा ही स्थानांतरित किया जा सकता है। खिलाड़ी बॉल को दोनों हाथों से पकड़ कर केवल उसे शूट या पास तो कर सकता है परन्तु फिर से ड्रिबल नहीं कर सकता।
  • अपने हाॅफ में बाॅल को कब्जा करने के बाद उस टीम के पास बाॅल को विरोधी टीम के हाॅफ में स्थानांतरित करने के लिए सिर्फ 8 सेकंड का समय होता है। यदि इससे ज्यादा समय तक बाॅल टीम अपने ही हाॅफ में रखती है तो इसे फाॅउल माना जाएगा और बाॅल दूसरी टीम को सौंप दी जाएगी।
  • हर टीम के पास गेंद को विरोधी टीम के बास्केट, रिंग में डालने, शूट करने के लिए 24 सेकंड का समय होता है। इस अवधि में ही किसी टीम के खिलाड़ी गेंद को शूट कर सकते हैं। एक बार बाॅल शूट करने पर वो चाहे बास्केट में जाए अथवा उससे टकराकर वापस आ जाए, दोनों को ही एक शाॅट माना जाता है। यदि एक शॉट लिया जाता है और बॉल, बास्केट में जाने में विफल रहती है तो अगला शाॅट लेने के लिए 24 सैकेंड का समय फिर से शुरू माना जाएगा।
  • जो टीम बास्केट में स्कोर करने की कोशिश करती है उसे आक्रामक (offence) कहा जाता है, जबकि विरोधी टीम को रक्षक (Defence) टीम कहा जाता है। डिफेंस टीम ऑफेंस टीम को स्कोर करने से रोकने के लिए सभी प्रयास कर सकती है। लेकिन इसमें खेल के नियमों का उल्लंघन अथवा फाउल नहीं होना चाहिए।
  • प्रत्येक सफल बास्केट के बाद विरोधी टीम के कब्जे में बॉल दी जाती है।
  • खेल के दौरान किए गए सभी फाउल स्कोर शीट में नोट किए जाते हैं। चाहे वो टीम फाउल हों अथवा खिलाड़ियों द्वारा किए गए निजी फाउल। 4 फाउल होने पर विरोधी टीम को फ्री थ्रो दिया जाता है। जिस खिलाड़ी के खिलाफ फाउल किया गया है, उसे फ्री थ्रो लाइन से शाॅट लेने का अवसर प्रदान किया जाता है। offence टीम को कितने फ्री थ्रो मिलेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिफेंस टीम ने फाउल किस स्थान पर किया है।

Swiss Open 2021: सेमीफाइनल में हो सकती है सिंधू-सायना की भिड़ंत

Basketball में इन्हें भी नियमविरुद्ध माना जाता हैः-

  • चलना- बिना ड्रिब्लिंग किए बाॅल को एक से अधिक कदम तक लेकर जाना।
  • डबल ड्रिबल- ड्रिब्लिंग के दौरान बाॅल को रोकना अथवा पकड़ना और फिर से ड्रिबल करना।
  • गोलटेंडिंग- बास्केट के नीचे की तरफ जा रही बाॅल को डिफेंस के खिलाड़ी द्वारा छेड़ना।
  • बैक कोर्ट उल्लंघन- एक बार बाॅल के हाॅफ वे लाइन को पार करने के बाद आक्रामक टीम उसे हाॅफ वे लाइन पर वापस नहीं ला सकती।

स्कोरिंग के नियमः-

Basketball खिलाड़ियों के लिए तीन स्कोरिंग नम्बर हैं।

  1. तीन अंक के आर्क के बाहर से स्कोर की गई बास्केट के परिणामस्वरूप आक्रामक टीम को तीन अंक दिए जाते हैं।
  2. तीन अंक आर्क के अंदर से बनाए गए बास्केट के परिणामस्वरूप दो अंक दिए जाते हैं।
  3. हर सफल ‘‘फ्री थ्रो’’ के लिए एक अंक दिया जाता है। ‘‘फ्री थ्रो’’ की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि फाउल किस स्थान पर किया गया था।

आयु वर्ग की सीमा-

  1. सब जूनियर –  14 वर्ष से कम
  2. युवा – 17 वर्ष से कम
  3. जूनियर – 19 वर्ष से कम
  4. सीनियर पुरूष एवं महिला – कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं।

फाउल और पेनल्टीः-

– व्यक्तिगत फाउल

  • ब्लॉक
  • पुश
  • चार्ज
  • ट्रिप
  • किसी प्रकार से असभ्य अथवा हिंसक तरीके से खेलना

नोट ः – 05 व्यक्तिगत फाउल करने वाले खिलाड़ी को कोर्ट से बाहर भेज दिया जाता है।

Vijay Hazare Trophy 2021: इस कारण ख़राब रहा राजस्थान का प्रदर्शन

– तकनीकी फाउल

  • हिंसक आचरण
  • अधिकारियों द्वारा दी गई चेतावनियों की अवमानना।
  • अधिकारियों के साथ अपमानजनक तरीके से व्यवहार करना।
  • अपमानित या उत्तेजित करने वाली भाषा या इशारों का उपयोग करना।

हार-जीत का आधार

  • Basketball में निर्धारित समय में अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है। लेकिन यदि मैच के निर्धारित 40 मिनट की अवधि समाप्त होने पर दोनों टीमों के बराबर अंक होते हैं तो विजेता का निर्णय होने तक 5-5 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाता है।
  • बास्केटबॉल के खेल में परिणाम के लिए आबंटित खेल समय में अपने विरोधी टीम से अधिक अंक बनाने वाली टीम विजेता होगी और यदि अंत में दानों टीमों के अंक बराबर रहते हैं तो विजेता का निर्णय होने तक 05-05 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाएगा।

Basketball खिलाड़ियों की पोजिशनः-

1. सेंटर – आमतौर पर सबसे लम्बे खिलाड़ी को सेंटर कहा जाता है। सामान्यतः उन्हें बास्केट के पास रखा जाता है।

  • ऑफेंसिव-  सेंटर का मुख्य लक्ष्य पास प्राप्त करके उसे बास्केट में शूट करना है। डिफेंडर्स को रोकने की जिम्मेदारी इन्ही की है जो पिकिंग और स्क्रीनिंग के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा टीम के अन्य खिलाड़ियों को बास्केट की तरफ शूट करने के लिए मोटिवेट करने की जिम्मेदारी भी इन सेंटर्स पर ही होती है।
  • डिफेंसिव- डिफेंस टीम के सेंटर्स की जिम्मेदारी होती है कि वे विरोधी खिलाड़ियों को अपने बास्केट में शूट करने से रोकें। इसके लिए वे विरोधी खिला
    ड़ियों और उनके शाॅट्स को रोकते हैं। लंबे होने के कारण इनसे बहुत अधिक रिबाउंड मिलने की उम्मीद होती है।

2. फारवर्ड – टीम के दूसरे लंबे खिलाड़ियों को फारवर्ड बनाया जाता है। फारवर्ड वो खिलाड़ी होता है, जो विरोधी टीम के रिंग के आस-पास के एरिया में मौजूद रहते हैं। इसके अलावा वो दूसरे स्थानों पर भी मौजूद रहकर टीम के हमलों को धार देने का काम करते हैं।

  • ऑफेंसिव-  हमलावर टीम के ‘‘फारवर्ड’’ पास लेने, बाहर की तरफ शॉर्ट लेने, गोल और रिबाउंड के लिए स्वतंत्र होते हैं। ये टीम के वो खिलाड़ी होते हैं जो विरोधी टीम पर हमलों को अंजाम देते हैं।
  • डिफेंसिव- डिफेंस टीम के फारवर्ड का काम गोल और रिबाउंडिंग के लिए विरोधी टीम द्वारा किए जा रहे प्रयासों को नियम अनुसार रोकना होता है।

3. गार्ड- ये टीम के सबसे छोटे खिलाड़ी होते हैं। जिनकी सबसे महत्वपूर्ण खूबी तेजी से ड्रिब्लिंग करते हुए बाॅल को पास करना होता है। इनका काम है कि वो बाॅल को कोर्ट के बीच मे लाकर आक्रामक खेल दिखाएं।

  • ऑफेंसिव- हमलावर टीम के गार्ड का काम ड्रिब्लिंग, पासिंग और आक्रामक खेल संरचना बनाना ‘गार्ड्स’ की मुख्य जिम्मेदारी है। वे बॉल को बास्केट तक पहुंचाने और परिधि से शूट करने के योग्य भी होने चाहिए।
  • डिफेंसिव- रक्षक टीम के गार्ड की जिम्मेदारी नियमानुसार रक्षात्मक होते हुए पास को बीच में ही अवरूद्ध करने की है।इसके अलावा विरोधी टीम द्वारा लगाए जा रहे शाॅट और हमले के प्रयासों के साथ ही बॉक्सिंग आउट को रोकने की जिम्मेदारी भी इनकी ही है।

Share this…

Leave a ReplyCancel reply