नई दिल्ली। Tokyo Olympics में भारत के एकमात्र गोल्ड मैडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने वहां एक और अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम किया। टोक्यो ओलंपिक की पुरुषों की जेवलिन थ्रो स्पर्धा में 87.58 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह नीरज का पला ओलंपिक था और अपने पहले ओलंपिक में ही उन्होंने भारत को एथलेटिक्स में गोल्ड मैडल दिलाया।
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अपनी इस शानदार जीत में नीरज ने एक अनोखा रिकॉर्ड भी बना दिया है। दरअसल नीरज दिग्गज जान जेलेजनी के बाद पहले एथलीट बन गए हैं जो क्वालीफायर और फाइनल इवेंट, दोनों में ही टॉप पर रहे। सिडनी 2000 ओलंपिक में चेक गणराज्य के इस एथलीट ने 89.39 मीटर थ्रो किया और क्वालीफायर में ग्रुप बी में पहले स्थान पर रहे। उन्होंने फाइनल में भी अपनी अच्छी फॉर्म जारी रखते हुए 90.17 मीटर जेवलिन थ्रो कर एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया। हालांकि, यह पहली बार नहीं था, जब जेलेजनी ने यह उपलब्धि हासिल की हो। उन्होंने, इससे पहले बार्सिलोना 1992 और अटलांटा 1996 में भी ऐसा किया था।
Tokyo Olympics जेवलिन थ्रो के क्वालिफिकेशन राउंड में भी नीरज पहले स्थान पर थे। यहां उन्होंने 86.65 मीटर थ्रो कर टॉप पॉजिशन हांसिल की थी। इसके बाद फाइनल इवेंट के पहले प्रयास में नीरज ने 87 मीटर के निशान को पार किया और दूसरे प्रयास में इससे भी आगे जाकर गोल्ड मैडल पर कब्जा जमाया। जेलेजनी 98.48 मीटर के थ्रो के साथ वर्तमान विश्व रिकॉर्ड धारक हैं, जो उन्होंने 1996 में हासिल किया था।
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क्वालिफायर में टॉप कर गोल्ड जीतने वाले अन्य एथलीट
– टैपिओ कोरजस– सियोल 1988 में कोरजस क्वालिफायर के ग्रुप B में 81.42 मीटर के थ्रो के साथ शीर्ष पर पहुंचे। फाइनल में उन्होंने अपने अंतिम प्रयास में 84.28 मीटर थ्रो करके स्वर्ण पदक जीता और जेलेजनी (84.12 मीटर) को हराया।
– क्लाउस वोल्फर्मन– म्यूनिख 1972 में घरेलू समर्थकों के सामने उन्होंने क्वालीफायर में 86.22 मीटर थ्रो किया। फाइनल में उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में 90.48 मीटर थ्रो किया। सोवियत संघ के जेनिस लुसिस (Janis Lusis) 90.46 मीटर तक पहुंच गए और वोल्फर्मन ने बहुत कम अंतर से स्वर्ण पदक जीता।