75 किलो भारवर्ग में Pooja Rani बॉक्सिंग पदक की प्रबल दावेदार
पटियाला राष्ट्रीय खेल संस्थान में शुरू हुई कड़ी ट्रेनिंग
पटियाला/भिवानी। टोक्यो Olympic में पदक के दावेदार भारतीय मुक्केबाज बीते चार महीने से अधिक समय तक अपने घरों में ही कैद रहे हैं। घर पर वे कुछ बुनियादी ट्रेनिंग कर रहे थे लेकिन उनमें रिंग में लौटने की बेचैनी थी। लेकिन अब भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय मुक्केबाजी शिविर को हरी झंडी दिए जाने के तुरंत बाद इन देश के शीर्ष मुक्केबाजों ने पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान में ट्रेनिंग शुरू कर दी है।
इन मुक्केबाजों को प्रशिक्षण सैंटियागो नीवा की चैकस निगाहों के तहत दिया जा रहा है। इन कुल 11 मुक्केबाजों में पांच महिला मुक्केबाज शामिल है। इन्हीं 5 महिला मुक्केबाजों में शामिल है पदक की बड़ी दावेदार बॉक्सर Pooja Rani बोहरा।
देश के लिए खेलना बहुत सौभाग्य की बात होती है और खेलते-खेलते जब ये पता लगे कि देश के लिए करने वाले आप पहले खिलाड़ी बन गए हो तो फिर आपकी खुशियां डबल हो जाती हैं, वो भी महिला दिवस पर। #ThrowbackThursday #ThursdayMotivation #Olympics #Quota @iamnidhiesharma @udita_scorpio77 pic.twitter.com/I9ots8gL5a
— Pooja Rani Bohra 🇮🇳 (@boxerpooja) May 20, 2020
अम्मान में किया था Olympic कोटा हांसिल
75 किलोग्राम भार वर्ग की खिलाड़ी Pooja Rani बोहरा से देश को ओलंपिक स्वर्ण पदक की उम्मीद है। 2015 की एशियाई चैंपियनशिप का कांस्य पदक भी पूजा ने अपने नाम किया था। 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद Pooja Rani ने जाॅर्डन के अम्मान में एशिया/ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर (महिलाओं की 75 किलोग्राम भारवर्ग) में जीत दर्ज करके आगामी टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल किया था।
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आसान नहीं था Olympic तक का सफर
Pooja Rani का जन्म 17 फरवरी, 1991 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था। उनके लिए भिवानी से ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं था। शुरुआती समय में उनके पिताजी नहीं चाहते थे कि पूजा रानी बॉक्सर बने। पिता को डर था कि कहीं पूजा को चोट न लग जाए। लेकिन, किसी तरह Pooja Rani ने अपने कोच संजय कुमार की मदद से पिता जी को मनाने में कामयाब रही। पहली बार रिंग में उतरते ही पूजा ने सिल्वर मेडल जीता और इसके बाद उनके पिता जी ने उन्हें एक बाइक भी गिफ्ट में दी थी।
अंतरराष्ट्रीय बाॅक्सिंग करियर की उपलब्धियां
- 2012 एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक
- 2014 एशियन गेम्स के 75 किलो वर्ग में कांस्य पदक
- 2015 एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक
- 2016 दक्षिण एशिया खेलों में स्वर्ण पदक
स्कूल में खेलती थी नेटबॉल, फिर बॉक्सिंग के प्रति बढ़ा रुझान
वर्ष 2007-08 में आदर्श महिला महाविद्यालय में पढ़ रही Pooja Rani बोहरा फिजिकल ट्रेनर मुकेश रानी के संपर्क में आई। पूजा ने नेटबॉल खेलना शुरू किया। इसमें अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिता में उसने बेहतरीन प्रदर्शन भी किया। यहीं पर एक बार पूजा को कालेज के मुक्केबाजी मुकाबलों में रिंग में उतारा गया। इसमें उसने बेस्ट परफोरमेंस दी। मुकेश रानी के पति भीम अवार्डी संजय श्योराण कैप्टन हवासिंह बॉक्सिंग अकादमी चलाते हैं। वर्ष 2009 आते-आते पूजा पूरी तरह से मुक्केबाजी से जुड़ गईं।
लॉकडाउन में रोज 6 घंटे प्रक्टिस, अब असली अग्निपरीक्षा
जब लॉकडाउन की घोषणा हुई थी तो तय हो गया था कि खिलाड़ियों को घर जाना होगा। लॉकडाउन में घर पर रहते हुए भी Pooja Rani ने हर रोज 6 घंटे ट्रेनिंग की। हालांकि तब प्रशिक्षण शिविर जैसा कड़ी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही थी। लेकिन अब कैंप शुरू होने के बाद से ट्रेनिंग का पूरा शिड्यूल शुरू हो गया है।